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संस्कार व संस्कृति से युवाओं को मिलता है नवजीवन: श्री शर्मा

 

दो दिवसीय उप्र के प्रांतीय युग सृजेता संगोष्ठी का समापन



हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में दो दिवसीय प्रांतीय युग सृजेता संगोष्ठी का सोमवार को समापन हो गया। इस संगोष्ठी में उप्र के लखनऊ, बहराइज, गोण्डा, गौतमबुद्धनगर, सराहनपुर सहित कुल ७५ जिलों के दो हजार से अधिक युवा एवं जिला समन्वयक उपस्थित रहे। संगोष्ठी में कुल नौ सत्र हुए, जिसमें विषय विशेषज्ञों ने युवा पीढ़ी को जागृत करने के विविध उपाय सुझाये। साथ ही नवंबर २०२२ में बुद्ध की तपःस्थली श्रावस्ती में एक विराट युवा सम्मेलन करने का निर्णय लिया गया। संगोष्ठी के अंतिम सत्र को संबोधित करते हुए शांतिकुंज व्यवस्थापक महेन्द्र शर्मा ने कहा कि युवाओं में अपरिमित क्षमता होती है। उसे सही दिशा एवं मार्गदर्शन मिल जाय, तो वह असंभव कार्य को संभव बना सकता है। श्री शर्मा ने कहा कि युवा पीढ़ी को संस्कार और संस्कृति से जोड़ना है। युवा सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेंगे, तो स्वयं सफल होंगे और दूसरों के लिए मददगार सिद्ध होंगे। उन्होंने अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि पूज्य पं. श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा के सूत्रों को याद करते हुए संगठित होकर समाज के नवनिर्माण में कार्य करने के लिए युवाओं को प्रेरित किया। अपने संदेश में अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि सक्रिय रहने वाले का नाम ही युवा है। ऐसे ही युवा बाधाओं को चीरते हुए नए व आसान राह बनाते हैं। युवावस्था में उत्साह, उमंग का संचार होता है। युवा वह है जो भाग्य पर नहीं, कर्म पर विश्वास करता है। शांतिकुंज की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलजीजी ने कहा कि सांस्कृतिक संक्रमणकाल से उबरने के लिए युवाओं को एकजूट होकर कार्य करने चाहिए।संगोष्ठी में बुद्ध की तपःस्थली श्रावस्ती में आगामी नवंबर २०२२ पूरे उत्तरप्रदेश के युवाओं के लिए तीन दिवसीय संगोष्ठी आयोजित करने का निर्णय लिया गया। जिसमें उप्र के चैबीस हजार से अधिक युवाओं को प्रतिभाग करेंगे। इसके लिए जिले एवं तहसील स्तर टीम गठित की गयी। दो दिन तक चले इस शिविर को डॉ. ओपी शर्मा, प्रो. प्रमोद भटनागर, केदार प्रसाद दुबे, नरेन्द्र ठाकुर, आशीष सिंह आदि ने भी संबोधित किया।


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