हरिद्वार। कांग्रेस पार्टी उत्तराखण्ड के वरिष्ठ नेता डा.महेंद्र राणा ने राजकीय कर्मचारियों के पुरानी पेन्शन बहाली आंदोलन को समर्थन देते हुए कहा है कि हमारे कर्मचारियों का भविष्य पुरानी पेन्शन प्रणाली में ही सुरक्षित है और यदि केंद्र सरकार अभी पुरानी पेन्शन बहाली की माँग पर कोई सकारात्मक कदम नही उठाती तो राज्य सरकार को विशेष अधिकार है कि वह अपने राज्य कर्मचारियों के हितों एवं आत्मविश्वास को बनाये रखने के लिए पुरानी पेन्शन योजना को उत्तराखण्ड में लागू करे। पुरानी पेंशन का लाभ न मिलने से कर्मचारी सेवानिवृत्ति के बाद खाली हाथ रह रहा है। नई पेंशन स्कीम के तहत उन्हें जो पैसा दिया जा रहा है, उससे उनका घर चलाना मुश्किल हो गया है। डा. राणा के अनुसार सरकार की नई पेंशन स्कीम बाजार पर आधारित योजना है, जिसमें जोखिम अधिक है। उन्होंने कहा कि यदि पति या पत्नी में से किसी की मृत्यु हो जाती है, तो अंतिम समय तक उन्हें पेंशन का लाभ मिले, जिससे वह अपना जीवन यापन कर सकें। डा. महेंद्र राणा ने राज्य कर्मचारियों से वादा किया कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार के आते ही राज्य कर्मचारियों की इस मांग को राज्य के विशेषाधिकार के तहत जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा। कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद सुरक्षित भविष्य चाहिए और यह सुरक्षित भविष्य नई पेंशन स्कीम नहीं बल्कि पुरानी पेंशन स्कीम में ही मिलेगा। उन्होंने कांग्रेस पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र के सदस्यों से भी राज्य कर्मचारियों की पुरानी पेन्शन बहाली मांग को शामिल करने का आग्रह किया है। गौरतलब है कि पूरे देश के राजकीय कर्मचारी संगठन पुरानी पेन्शन बहाली की मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक इस पर कोई सकारात्मक निर्णय नही लिया गया है जिससे सभी कर्मचारियों में रोष व्याप्त है।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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