हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय में शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद विज्ञान के तत्वाधान में ‘विभिन्न खेलों के प्रशिक्षण एवं खेल कोचिंग के नए आयाम ’ शीर्षक पर 10 से 16 दिसम्बर तक सात दिवसीय ऑनलाईन कार्यशाला का समापन विश्वविद्यालय के कुलपति आयुर्वेद शिरोमणि आचार्य बालकृष्ण ने किया। समापन के मौके पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि जीवन में शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाता है। हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा प्राचीनकाल से खेल जैसे धर्नुविद्या, मल्लयुद्ध (कुश्ती) आदि द्वारा व्यायाम किया जाता था। पतंजलि विश्वविद्यालय भी उसी दिशा में कार्यरत है। हम आने वाले समय में इसी विश्वविद्यालय से विश्व स्तर के खिलाड़ी तैयार करेंगे, जो मां भारती का शीश गौरव से ऊँचा करने का काम करेंगे। पतंजलि ने हमेशा भारत के गौरव को बढ़ाने का कार्य किया है और भविष्य में भी करता रहेगा। यह राष्ट्रीय खेल कार्यशाला उसी का ही एक रूप है। कार्यक्रम में प्रति-कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल ने कहा कि खेल राष्ट्रीय एवं अंर्तराष्ट्रीय शांति के लिए आवश्यक हैं। बडे-बडे युद्ध के समय खेलकूद का आयोजन युद्ध रोककर शांति स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। कार्यक्रम में संकायाध्यक्ष मानविकी एवं प्राच्य विद्या पूज्या दीदी साध्वी देवप्रिया जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि खेल से बालक-बालिकाओं में अनुशासन आता है तथा खेल मनुष्य को धैर्यवान बनाता है। साथ ही छात्रें के जीवन को हर क्षेत्र में सफलता अर्जित करने में मदद करता है।स्वामी परमार्थदेव ने अपने संबोधन में कहा कि खेलकूद में अग्रणी देश सबसे बडे ताकतवर देश कहलाते है। किसी देश की आज की ताकत उनके यहाँ प्राप्त ओलम्पिक मेडलों से होती है। खेल जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त करता है। सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के आयोजन की बागडोर डॉ. राम मिश्रा एवं सहयोग में डॉ भागीरथी के रूप में निभायी। इस कार्यशाला में प्रो.वी.के. कटियार,डॉ. लिनेट खाखा, कैप्टन सुनील भारद्वाज, डॉ. उमाकांत सिंह, सागर सिंह,डॉ. मुकेश मिश्रा,डॉ. राबिन सिंह, डॉ. केजीपाण्डेय, डॉ. अवधेश कुमार सिंह, डॉ. मनोज साहू, डॉ. अंकन सिन्हा, डॉ. अनीता पारवान आदि ने खेल के विभिन्न विषयों पर अपने विचार कार्यशाला में रखें। इस अवसर पर ललित मोहन डॉ. निर्विकार, प्रो. के.एन.एस. यादव, वी.के. कटियार, वी.सी. पाण्डेय, स्वामी सोमदेव एवं उनकी टीम में कपिल शास्त्रीएवं समस्त प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय में शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद विज्ञान के तत्वाधान में ‘विभिन्न खेलों के प्रशिक्षण एवं खेल कोचिंग के नए आयाम ’ शीर्षक पर 10 से 16 दिसम्बर तक सात दिवसीय ऑनलाईन कार्यशाला का समापन विश्वविद्यालय के कुलपति आयुर्वेद शिरोमणि आचार्य बालकृष्ण ने किया। समापन के मौके पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि जीवन में शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाता है। हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा प्राचीनकाल से खेल जैसे धर्नुविद्या, मल्लयुद्ध (कुश्ती) आदि द्वारा व्यायाम किया जाता था। पतंजलि विश्वविद्यालय भी उसी दिशा में कार्यरत है। हम आने वाले समय में इसी विश्वविद्यालय से विश्व स्तर के खिलाड़ी तैयार करेंगे, जो मां भारती का शीश गौरव से ऊँचा करने का काम करेंगे। पतंजलि ने हमेशा भारत के गौरव को बढ़ाने का कार्य किया है और भविष्य में भी करता रहेगा। यह राष्ट्रीय खेल कार्यशाला उसी का ही एक रूप है। कार्यक्रम में प्रति-कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल ने कहा कि खेल राष्ट्रीय एवं अंर्तराष्ट्रीय शांति के लिए आवश्यक हैं। बडे-बडे युद्ध के समय खेलकूद का आयोजन युद्ध रोककर शांति स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। कार्यक्रम में संकायाध्यक्ष मानविकी एवं प्राच्य विद्या पूज्या दीदी साध्वी देवप्रिया जी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि खेल से बालक-बालिकाओं में अनुशासन आता है तथा खेल मनुष्य को धैर्यवान बनाता है। साथ ही छात्रें के जीवन को हर क्षेत्र में सफलता अर्जित करने में मदद करता है।स्वामी परमार्थदेव ने अपने संबोधन में कहा कि खेलकूद में अग्रणी देश सबसे बडे ताकतवर देश कहलाते है। किसी देश की आज की ताकत उनके यहाँ प्राप्त ओलम्पिक मेडलों से होती है। खेल जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त करता है। सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के आयोजन की बागडोर डॉ. राम मिश्रा एवं सहयोग में डॉ भागीरथी के रूप में निभायी। इस कार्यशाला में प्रो.वी.के. कटियार,डॉ. लिनेट खाखा, कैप्टन सुनील भारद्वाज, डॉ. उमाकांत सिंह, सागर सिंह,डॉ. मुकेश मिश्रा,डॉ. राबिन सिंह, डॉ. केजीपाण्डेय, डॉ. अवधेश कुमार सिंह, डॉ. मनोज साहू, डॉ. अंकन सिन्हा, डॉ. अनीता पारवान आदि ने खेल के विभिन्न विषयों पर अपने विचार कार्यशाला में रखें। इस अवसर पर ललित मोहन डॉ. निर्विकार, प्रो. के.एन.एस. यादव, वी.के. कटियार, वी.सी. पाण्डेय, स्वामी सोमदेव एवं उनकी टीम में कपिल शास्त्रीएवं समस्त प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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