हरिद्वार। भूपतवाला स्थित वेद निकेतन धाम में ब्रह्मलीन स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती और बैकुंठ लाल शर्मा की स्मृति में हुई तीन दिवसीय धर्म संसद सनातन वैदिक राष्ट्र के संकल्प के साथ पूर्ण हुई। धर्म संसद का शुभारंभ श्री अखंड परशुराम अखाड़ा के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक और उनके शिष्यों के प्राचीन वैदिक शस्त्र कला के प्रदर्शन से हुआ। धर्म संसद में जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी (पूर्व नाम वसीम रिजवी) ने कहा कि भारत में हिन्दू समाज की यह जिम्मेदारी है कि वो जिहादियों से स्वयं को बचाते हुए सम्पूर्ण मानवता की रक्षा करे। उन्होंने कहा कि ये मेरा संकल्प है कि अब मैं सनातन धर्म की रक्षा के लिए जीऊंगा और मरूंगा। सनातन धर्म के शत्रु ही मेरे शत्रु होंगे। उन्होंने कहा कि ये मेरा संकल्प है कि अब मैं सनातन धर्म की रक्षा के लिए जिऊँगा और सनातन धर्म की रक्षा के लिये मरूँगा। सनातन धर्म के शत्रु ही मेरे शत्रु होंगे। धर्म संसद के संकल्प की घोषणा करते हुए महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी ने कहा कि अब हर हिन्दू का लक्ष्य केवल सनातन वैदिक राष्ट्र की स्थापना होना चाहिये। आज ईसाइयों के 100 के करीब देश हैं, मुसलमानों के 57 हैं, बौध्दों के भी 8 देश हैं। यहाँ तक कि मात्र नब्बे लाख यहूदियों का भी एक अपना देश इजरायल है। सौ करोड़ हिन्दुओ का दुर्भाग्य है कि उनके पास अपना देश कहने के लिये एक इंच भी जगह नहीं है।अब तक कि गलतियों से सबक लेकर अब हिन्दुओ को अपने राष्ट्र के लिये पूरी जान लगानी पड़ेगी।अगर हिन्दू के पास इजराइल के एक राष्ट्र नहीं बना तो हिन्दुओ के विनाश को कोई नही रोक सकेगा। धर्म संसद को सम्बोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानंद गिरी ने कहा की जब देश का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ तो अब हम सबको यह बात सब नेताओ को समझानी ही पड़ेगी। आज हिन्दुओ के नेताओ ने रंग बदलने में गिरगिट को भी पीछे छोड़ दिया है। गिरगिट को तो रंग बदलने में कुछ समय लगता है पर हिन्दुओ के नेता तो चुनाव जीतते ही कट्टर हिन्दू से धर्मनिरपेक्ष बन जाता है। हिन्दुओ को ऐसे नेताओं को सबक सिखाकर अब अपने अधिकार के लिए लड़ना ही पड़ेगा। धर्म संसद में उपस्थित सभी सनातन धर्म गुरुओं ने सर्वसम्मति से हिन्दू समाज से सनातन वैदिक राष्ट्र के निर्माण और अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए अधिक से अधिक बच्चे पैदा करने और अपने बच्चों को धर्म,समाज और परिवार की रक्षा करने लायक बनाने का आह्वान किया। आज धर्म संसद में स्वामीनारायण सम्प्रदाय से संत हरिवल्लभ दास, महामंडलेश्वर स्वामी डॉ प्रेमानंद जी,महामंडलेश्वर स्वामी राजेश्वरानंद,महामंडलेश्वर स्वामी प्रबोधानन्द गिरि जी,महामंडलेश्वर साध्वी अन्नपूर्णानन्द भारती,महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती,महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी,स्वामी अमृतानंद, स्वामी सत्यवृतानंद सरस्वती,स्वामी विनोद महाराज,स्वामी परमानंद,स्वामी प्रकाशानंद गिरी,स्वामी पुष्पेंद्र पूरी,स्वामी एकनाथ,श्रीमहन्त रामेश्वरानंद,स्वामी वेदांत प्रकाश सरस्वती,आस्था माँ तथा बहुत बड़ी संख्या में अनेक संत महापुरुषों ने अपने विचार रखे।
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