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मालवीय जी सनातन धर्म की रक्षा के लिए आजीवन संघर्ष करते रहे

 


हरिद्वार। श्री गंगा सभा (रजि.) हरिद्वार ने शनिवार को अपने संस्थापक भारत रत्न महामना पं. मदनमोहन मालवीय का जन्मदिवस हरकी पौड़ी पर गंगा पूजन और रुद्राभिषेक कर मनाया। घण्टाघर मालवीय द्वीप पर स्थित मालवीय जी की प्रतिमा पूजन और माल्यार्पण किया गया। इस अवसर पर सभा के अध्यक्ष प्रदीप झा और महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने कहा कि मालवीय जी ने हरिद्वार के तीर्थपुरोहितों के साथ मिलकर 1916 में पहला बाँधविरोधी आंदोलन अंग्रेजों के खिलाफ किया और अंग्रेज सरकार को झुकने पर मजबूर किया। वो सनातन धर्म की रक्षा के लिये आजीवन संघर्ष करते रहे। मालवीय जी विश्व के एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें महामना की उपाधि से विभूषित किया जाता है। वो एक स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षाविद, भागवत के विद्वान, प्रख्यात वकील होने के साथ ही गरीबों वंचितों एवं शोषितों के अधिकारों के रक्षक भी थे। श्रीगंगा सभा मालवीय जी के आदर्शों और विचारों को आगे बढ़ाने के लिए आज भी प्रयत्नशील है। इस अवसर पर सभा के उपसभापति जितेंद्र विद्याकुल, कोषाध्यक्ष यतीन्द्र सिखौला,स्वागतमन्त्री.डॉ.सिद्धार्थ चक्रपाणी,समाज कल्याण मंत्री नितिन गौतम, सचिव वीरेंद्र कौशिक,अवधेश पटुवर, अमित शास्त्री, शैलेष मोहन,देवेंद्र पटुवर,विकास प्रधान,नवनीत चक्रपाणी, बाबूराम मिश्रा, नितिन पालीवाल, आशीष अल्हड़, अवनीश सरैया आदि उपस्थित रहे। वही दूसरी ओर ऋषिकुल विद्यापीठ ब्रह्मचर्याश्रम के संस्थापक भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय की जयंती महाविद्यालय परिसर में मनाई गई। शनिवार को इस मौके पर सर्वेश्वर मंदिर से पूजा-अर्चना के बाद छात्रों और स्टाफ ने शोभायात्रा निकाली।मालवीय चैक पर कालेज प्राचार्य डॉ बलदेव प्रसाद चमोली और स्टाफ द्वारा महामना मदन मोहन मालवीय की मूर्ति पर फूल मालाएं चढ़ाई गई। इस दौरान छात्रों ने मालवीय के जीवन पर गीत, भाषण, नाटक आदि प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम अधिकारी साकेत प्रकाश मिश्रा ने कहा कि भारत रत्न मदन मोहन मालवीय भारत के पहले और अंतिम व्यक्ति थे जिन्हें महामना की उपाधि से विभूषित किया गया था। पत्रकारिता, वकालत, समाज सुधार व मातृ भाषा तथा भारत माता की सेवा में अपना जीवन अर्पण किया। इस दौरान देवीदत्त काण्डपाल, हीरावल्लभ बेलवाल, चुड़ामणि परंगाई, दीपक कुमार, गीता जोशी, महेश चंद बहुगुणा, उमा जोशी, मनोज कुमार, इंदु शर्मा, प्रेम सिंह बोहरा आदि शामिल रहे। सप्त ऋषि आश्रम में बनाई गई मालवीय जयंती


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