हरिद्वार। मंगलमय परिवार एवं अन्य सामाजिक सहयोगी संस्थाओं ने वर्तमान परिदृश्य और मानव उत्थान में मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम की प्रासंगिकता विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया। रविवार को पं. मदन मोहन मालवीय सभागार ऋषिकुल आयुर्वेदिक कालेज में हुई गोष्ठी में मुख्य वक्ता संत विजय कौशल ने कहा कि श्रीराम ने धर्मशील राजधर्म का पालन किया। कहा कि अयोध्या के राजकुमार होते हुए भी राम अपने पिता के वचनों को पूरा करने के लिए संपूर्ण वैभव को त्याग कर चैदह वर्षों के लिए वन चले गए। राम के चरित्र में पग-पग पर मर्यादा, त्याग, प्रेम और लोकव्यवहार के दर्शन होते हैं। अध्यक्षता कर रहे पतंजलि विश्वविद्याल के प्रति कुलपति डॉ. महावीर अग्रवाल ने कहा कि राम का जन्म राज्य भोगने के लिए नहीं बल्कि जगत के मंगल के लिए हुआ था। इस दौरान बालकृष्ण शास्त्री की सम्पादित पुस्तक अनुपम भजन संग्रह का विमोचन किया गया। डॉ. नरेश चैधरी को कोविड काल में दी गई सेवाओं के लिए सम्मानित किया। इस मौके पर अविनाश चन्द ओहरी, रमणीक भाई, बृजभूषण विद्यार्थी, डॉ. जितेन्द्र सिंह, श्रवण गुप्ता, रमेश उपध्याय, अनिल गुप्ता, निशांत कौशिक, करन मल्होत्रा, आशीष बंसल, अमित सैनी, आचार्य पवन नन्दन जी महाराज, मीनाक्षी बंसल, पं जगन्नाथ शर्मा, पवन कुमार, रोहित साहू, विकास गोयल, सुरेन्द्र शर्मा, विनोद तिवारी, ताराचन्द विरमानी, देशराज शर्मा, ललित चैहान, डॉ. रविकान्त शर्मा, पूर्व मेयर मनोज गर्ग, डॉ. विजय पाल सिंह, कुंवर रोहताश्व सिंह, मयंक शर्मा, प्रदीप कालरा, राजेन्द्र नाथ गोस्वामी, राज कुमार, डॉ. सत्यनारायण शर्मा, डॉ. अश्विनी चैहान, शैली चोपड़ा, अन्नू कक्कड़, रवीन्द्र सिंघल, विश्वास सक्सेना, डॉ. कुलदीप सिंह, सुशील चैहान, रामचन्द्र पाण्डेय, सन्दीप कपूर, ललित मिश्रा, सुशांत पाल, निशांत यादव, सुदीप वनर्जी, कमलेश काण्डपाल, शैलेश गुप्ता, विमल कुमार, डॉ. हिमांशु पण्डित आदि रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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