हरिद्वार। वन्य पशु जंगल से निकलकर लगातार रिहायशी इलाकों में दस्तक दे रहे हैं। मंगलवार सुबह कनखल थाना क्षेत्र के जगजीतपुर ग्राम में हाथियों का झुण्ड जंगल से निकलकर आबादी क्षेत्र में पहुंच गया। हाथियों का झुण्ड घंटों तक मातृसदन आश्रम के आसपास विचरण करता रहा। हाथियों के झुण्ड को देखकर दहशत में आए लोगों के शोरगुल करने पर हाथी वापस जंगल की और लौट गए। गनीमत रही कि इस दौरान हाथियों ने जानमाल का कोई नुकसान नहीं किया। जंगली जानवरों को आबादी से दूर रखने के वन विभाग के दावों की पोल लगातार खुल रही है। वन विभाग के दावों की पोल खोलता हुआ गजराज का एक झुण्ड गंगा पार कर जगजीतपुर क्षेत्र में पहुंच गया। जगजीतपुर में गंगा किनारे स्थित मातृसदन आश्रम के आसपास जंगली हाथी घंटों तक टहलते रहे। आश्रम से कुछ ही दूरी पर विशाल रिहायशी क्षेत्र है। हाथीयों को देख लोग दहशत में आ गए। लोगों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी। साथ ही शोरगुल करते हुए हाथीयों को वापस भगाया। शोर सुनकर हाथी नदी पार कर वापस जंगल में लौट गए। हाथीयों के वापस जाने तक लोग भारी दहशत में रहे। जंगली जानवरों को आबादी क्षेत्र से दूर रखने में वन विभाग के प्रयास लगातार नाकाम साबित हो रहे हैं। हाल ही में पथरी थाना क्षेत्र के गांव में एक घर में गुलदार घुस आया था। जिसे कड़ी मशक्कत के बाद वन विभाग की टीम ने काबू किया था। इसके अलावा भेल, मंशा देवी जंगल से सटी बिल्केश्वर कालोनी व ब्रह्मपुरी में गुलदार, हाथी आदि जंगली जीवों को विचरण करते अकसर देखा जा सकता है। जगजीतपुर के पूर्व ग्राम प्रधान दिनेश वालिया ने कहा कि जंगली जानवरों को आबादी में आने से रोकने के लिए वन विभाग को पुख्ता इंतजाम करने चाहिए। गंगा पार कर हाथी अकसर जगजीतपुर क्षेत्र में आ जाते हैं। जिससे कभी भी कोई हादसा हो सकता है।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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