हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय में शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद विभाग के तत्वावधान में विभिन्न खेलों के प्रशिक्षण एवं खेल कोचिंग के नए आयाम शीर्षक पर 16 दिसंबर तक सात दिवसीय ऑनलाइन खेल कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। कार्यशाला का शुभारंभ विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति महावीर ने किया। इस अवसर पर प्रति कुलपति महावीर ने कहा कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या एवं पुरुषार्थ करना पड़ता है। तब जाकर हमें सफलता प्राप्त होती है। कार्यशाला में डीन-अकेडमिक प्रो. वीके कटियार ने खेलों में बॉयो-मैकेनिक्स के उपयोग को सरल भाषा में बताया। सहायक कुलानुशासक स्वामी परमार्थ देव ने खेल एवं शारीरिक शिक्षा के विद्यार्थियों के लिए अनुशासन, मानवीय मूल्य एवं नैतिकता की आवश्यकता पर व्याख्यान दिया। उन्होंने समझाया कि सुस्वास्थ्य एवं आरोग्य से किस प्रकार खिलाड़ी खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। कार्यक्रम में संकायाध्यक्षा साध्वी आचार्या देवप्रिया, कुलसचिव डॉ. निर्विकार, आईक्यूएसी निदेशक प्रो. केएनएस यादव, वित्त अधिकारी ललित मोहन, विश्वविद्यालय के समस्त प्राध्यापक, शिक्षकगण, प्रशिक्षक एवं छात्र-छात्राए उपस्थित रहे। कार्यशाला का संचालन डाॅ. राम मिश्रा तथा आभार प्रदर्शन भागीरथी ने किया। तकनीकि सहयोग स्वामी सोमदेव एवं उनकी टीम का रहा। कपिल शास्त्री, संदीप माणिकपुरी आदि ने भी कार्यशाला के आयोजन में अपना योगदान दिया।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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