हरिद्वार। संस्कृत भारती उत्तरांचल और उत्तराखंड संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित प्रांत संस्कृत सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में आचार्य बालकृष्ण ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि संस्कृत पूरे विश्व में लोकप्रिय हो रही है। भारतीय ज्ञान विज्ञान और तकनीक की भाषा संस्कृत है। कनखल स्थित श्रीहरेराम आश्रम में आयोजित संस्कृत सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रान्त प्रचारक युद्धवीर सिंह, प्रान्त कार्यवाह दिनेश सेमवाल, संस्कृत भारती के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री जयप्रकाश, आयुर्वेद विवि के कुलपति प्रो. सुनील कुमार जोशी, संस्कृत विवि के कुलसचिव गिरिश कुमार अवस्थी भी उपस्थित रहे। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा को सुरक्षित रखने के लिए हमारे सामने विकट चुनौतियां खड़ी हैं। हम वैश्विक चुनौतियों का सामना संस्कृत भाषा के बल पर ही कर सकते हैं। अध्यक्षता करते हुए प्रो. सुनील कुमार ने बताया कि भारतीय विज्ञान की सभी शाखाएं संस्कृत भाषा में निहित हैं। संस्कृत का प्रत्येक शब्द अपने अंदर अद्भुत चिन्तन को समेटे हुए है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त प्रचारक युद्धवीर सिंह ने कहा कि संस्कृत भाषा को पुनः जीवित करने के लिए सभी को आगे आना होगा। संस्कृत भारती के अखिल भारतीय सह संगठनमंत्री जयप्रकाश गौतम ने कहा कि संस्कृत भाषा विकास के लिए संस्कृत प्रेमियों को आगे आना होगा। संस्कृत भारती के क्षेत्र संयोजक डॉ. प्रेमचंद्र शास्त्री, प्रान्त अध्यक्ष जानकी त्रिपाठी, प्रान्त संगठन मंत्री योगेश विद्यार्थी उपस्थित रहे। साथ ही सम्मेलन के प्रतिनिधि के रूप में उत्तराखंड के सभी जिलों से आचार्य अनसुया प्रसाद सुन्दरियाल, डॉ. राघव झा, डॉ. चन्द्रप्रकाश उप्रेती, गोपेश पाण्डेय, डॉ. रितेश टम्टा, संजू प्रसाद ध्यानी, नागेन्द्र दत्त व्यास, डॉ. प्रदीप सेमवाल, आचार्य दाताराम पूरवाल, आचार्य राधेश्याम खण्डूरी, आचार्य चन्द्रशेखर नौटियाल, आचार्य सत्यप्रकाश खण्डूरी, राजेन्द्र नौटियाल, रुद्रप्रयाग से डॉ. भारती, अपने-अपने खंडों के प्रतिनिधियों को साथ लेते हुए सम्मेलन स्थल पर पहुंचे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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