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गुरु गोविंद सिंह जी का 356 वा प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया गया

 


हरिद्वार। सिक्खों के 10वें गुरु और भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के रक्षक श्री गुरु गोविंद सिंह जी का 356 वा प्रकाश पर्व उपनगरी कनखल के ऐतिहासिक गुरुद्वारे तीजी पातशाही श्री गुरु अमर दास जी तप स्थान में धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब के अखंड पाठ का भोग चढ़ाया गया अरदास के साथ ही शब्द कीर्तन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर तपस्थान की संचालिका बीबी बिन्निंदर कौर ने कहा कि सिक्ख समुदाय और सनातन धर्म से जुड़े लोगों के लिए यह दिन बहुत बड़ा और खास दिन माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह की सप्तमी तिथि पर गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती मनाई जाती है। वहीं अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार गुरु गोविंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना में हुआ था। उन्होंने बताया कि कनखल में श्री गुरु अमरदास जी के इस तप स्थान की खोज गुरु गोविंद सिंह जी के निर्देश पर बाबा दरगाह सिंह जी महाराज ने की थी यह ऐतिहासिक स्थान है जो गुरु गोविंद सिंह जी की भावनाओं से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी जिसे सिक्ख धर्म में प्रमुख माना जाता है। गुरु गोबिंद सिंह के बचपन का नाम गोविंद राय था। इनके पिता सिक्ख धर्म के नौवें गुरु गुरु तेग बहादुर और माता का नाम गुजरी था। गुरु गोबिंद सिंह एक महान योद्धा और धार्मिक व्यक्ति थे। मुगल शासक औरंगजेब ने इनके पिता गुरु तेग बहादुर को इस्लाम धर्म कबूल करने मजूबर किया था लेकिन इन्होंने मुगलों के आगे नहीं झुके और इस्लाम धर्म कबूल करने से इंकार दिया। तब औरंगजेब ने नवंबर 1675 में इनका सिर कलम कर दिया था। तब गुरु गोबिंद सिंह को मात्र 9 वर्ष की अल्पायु में सिक्ख धर्म के 10वें गुरु पर आसीन हुए। गुरु गोबिंद सिंह की जयंती पर प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है। ग्रंथि सरदार देवेंद्र सिंह ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी ने ही वाहे गुरु की फतेह, वाहे गुरु का खालसा का नारा दिया था। शौर्य, साहस, पराक्रम और वीरता के प्रतीक श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिक्खों को पंच ककार धारण करने का आदेश दिया था। ये पांच चीजें ये है। केश, कड़ा, कच्छा, कृपाण और कंघा। गुरु गोबिंद सिंह जी के द्वारा दी गई शिक्षाएं आज भी लोगों को प्रेरणा दिलाती है। इस अवसर पर श्रीमती मीनू शर्मा अतुल शर्मा मनजीत सिंह सरदार इंद्र सिंह समेत कई लोग मौजूद थे           


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