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निर्मला छावनी में घुसे जंगली हाथीयों ने परिसर की दीवार ढहायी

 हरिद्वार। वन्य जीवों के जंगल से आबादी में आने पर वन विभाग रोक नहीं लगा पा रहा है। वन विभाग के कार्यालय के समीप स्थित निर्मल अखाड़े की छावनी में रोजाना जंगली हाथियों के झुण्ड उत्पात मचा रहे हैं। हाथीयों ने छावनी की दीवार गिराने के साथ खेतों में लगी फसल को भी नुकसान पहुंचाया है। जिससे  श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल संतों  और आम लोगों में रोष बना हुआ है। छावनी के महंत निर्भय सिंह महाराज का कहना है कि वन विभाग की लापरवाही के कारण जंगली हाथियों का झुंड रोज छावनी में घुस जाता है और सारी फसल का नुकसान हाथियों द्वारा कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि रोजाना छावनी में आ रहे जंगली हाथियों के झुंड ने छावनी परिसर में बनी हुई दीवारों को भी तोड़ दिया है। जिससे अखाड़े की संपत्ति का काफी नुकसान हुआ है। वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों की आपसी लड़ाई में आम लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हाथियों के आवागमन के कारण कभी भी कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती है। डीएफओ के खिलाफ वन विभाग के कर्मचारी धरने पर बैठे हैं। जिस कारण जंगली हाथियों को रोकने वाली दीवार का कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल कई बार इस विषय में वन विभाग को अवगत करा चुका है। लेकिन उनकी आपसी लड़ाई के चलते अखाड़े को संपत्ति का नुकसान हो रहा है। उन्होंने मांग की है कि अखाड़े की संपत्ति और फसल की भरपाई की जाए और जंगली हाथियों के प्रवेश को रोकने के लिए ठोस उपाय किए जाएं। महंत निर्भय सिंह महाराज ने कहा कि छावनी परिसर में बड़ी संख्या में लोग निवास करते हैं और बच्चे ट्यूशन और स्कूल के लिए आते जाते रहते हैं। लोगों की गाड़ियां भी परिसर में ही खड़ी रहती हैं। जंगली हाथियों के आवागमन से लोगों एवं बच्चों को लगातार खतरा बना हुआ है। लेकिन वन विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही हाथियों का आवागमन रोकने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया गया तो अखाड़े के संत वन विभाग के खिलाफ आंदोलन करने को विवश होंगे। जिसका खामियाजा वन विभाग को भुगतना होगा। ज्ञानी महंत खेम सिंह, महंत अमनदीप सिंह, संत गुरजीत सिंह, संत जसकरण सिंह, संत सुखमण सिंह, संत तलविंदर सिंह, संत विष्णु सिंह, संत हरजोध सिंह, संत सिमरन सिंह आदि ने भी वन विभाग की लचर कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए रोष प्रकट किया।


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