हरिद्वार। भारत विकास परिषद मंदाकनी शाखा, हरिद्वार की एक आनलाईन बैठक स्वामी विवेकानन्द की जयन्ती के अवसर पर शाखा के अध्यक्ष आर0के0 गर्ग की अध्यक्षता में आयोजित की गयी। बैठक का संचालन विमल कुमार गर्ग ने किया। संस्था के संरक्षक इं0 मधुसूदन अग्रवाल ने कहा कि भारतीय ही नहीं दुनिया भर में स्वामी विवेकानंद का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता हैं। एक युगपुरुष जिन्होंने भारतीयों को भारतवासी होने पर गर्व करना सिखाया तथा समझाया कि क्यों भारतीय संस्कृति दुनियां से बढकर हैं सर्वश्रेष्ठ हैं। उनका जन्म 12 जनवरी सन् 1863 में कलकत्ता में हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ था,वह बहुत धार्मिक और आध्यात्मिक व्यक्ति थे और अपने संस्कृत के ज्ञान के लिए लोकप्रिय थे। वास्तव में स्वामी विवेकानंद एक सच्चे गुरुभक्त भी थे क्योंकि तमाम प्रसिद्धि पाने के बाद भी उन्होंने सदैव अपने गुरु को याद रखा और रामकृष्ण मिशन की स्थापना करते हुए, अपने गुरु का नाम रोशन किया। मंदाकनी शाखा के सचिव विमल कुमार ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुष सदियों में एक बार ही जन्म लेते हैं, जो अपने जीवन के बाद भी लोगो को निरंतर प्रेरित करने का कार्य करते हैं। यदि हम उनके बताये गये बातों पर अमल करें, तो हम समाज से हर तरह की कट्टरता और बुराई को दूर करने में सफल हो सकते हैं। स्वामी विवेकानंद ने अपने जीवन में तमाम विपत्तियों के बावजूद भी स्वामी विवेकानंद कभी सत्य के मार्ग से हटे नही और अपने जीवन भर लोगो को ज्ञान देने कार्य किया। अपने इन्हीं विचारों से उन्होंने पूरे विश्व को प्रभावित किया तथा भारत और हिंदुत्व का नाम रोशन करने का कार्य किया। इस बैठक में प्रांतीय संयोजिका अन्नपूर्णा बंधुनी, संगठन मंत्री रोटेरियन राजीव राय, जे के शर्मा, सुरेश चन्द्र गुप्ता, डॉ मनीषा दीक्षित, अंकुर गोयल, डॉ मनुदेव बंधु, गोपाल शर्मा, आर्य प्रवीण वैदिक, डॉ अतर सिंह, प्रभात आर्य, अजय दुर्गा आदि ने भाग लिया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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