हरिद्वार। आप पार्टी के प्रदेश सह प्रभारी प्रवीण देशमुख ने सीएम धामी पर प्रदेश में बढते अवैध खनन पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि अवैध खनन के काले कारोबार से सीएम धामी के हाथ रंगे हुए हैं और उनके ही संरक्षण में इस काले खेल को बढावा दिया जा रहा है। आप पार्टी ने शुरु से ही इस अवैध खनन के खिलाफ अपनी आवाज बुंलद की और इस खेल का भांडा फोड किया। उन्होंने आगे कहा कि मैंने खुद सुखरोत नदी में इस अवैध खनन का खुलासा किया। हमने वहां पर खुद देखा कि नदियों को चीरकर हजारों ट्रक रेता नदियों से निकाला जा रहा है। इसका हमने खुलासा किया था। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बनी खनन नीति पर हाईकोर्ट द्वारा जो चाबुक चलाई गई है आप पार्टी इस फैसले का स्वागत करती है। उन्होंने कहा कि यह नीति सरकार द्वारा अपने चहेतों को ,अपने चेलों को और उन फाईनेनसरों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाई गई। उन्होंने आगे कहा कि अब चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में अवैध खनन को बढावा देकर सीएम धामी अपने चुनावी खर्च का हिसाब किताब पूरा करना चाहते हैं। अक्टूबर में लागू की गई यह नीति सिर्फ पैसा कमाने का जरिया था जिसे हाईकोर्ट ने अब खारिज कर दिया है और सरकार से इस पर जवाब मांगा है। उन्होंने यह मांग भी माननीय न्यायालय से की है कि जो टेंडर उस दौरान सरकार द्वारा अपने चहेतों को दिलवाए गए थे उन सभी टेंडरों को निरस्त करते हुए जो भी अधिकारी और नेता इसमें संलिप्त थे उन पर भी कार्रवाई की जाए। उन्होनंे कहा कि यह बुहत बडा मायाजाल बुना गया था जिसमें कई लोग शामिल थे। अगर सीएम धामी में थोडी भी नैतिकता बची है तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि जनता ऐसे खनन प्रेमियों को अब माफ नहीं करने वाली और चुनाव में सीएम धामी खुद इसके नतीजे देख लेंगे।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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