हरिद्वार। गंगा से जुड़ंे विभिन्न मांगो को लेकर मातृसदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती का आमरण अनशन 23वें दिन भी जारी है। हालंकि अभी तक प्रशासन ने मातृ सदन की मांगों के संबंध में अभी तक कोई सकारात्मक बातचीत नहीं की है। जिसे लेकर मातृसदन के संतों में रोष है। मातृसदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद रायवाला से लेकर भोगपुर तक गंगा में किसी भी प्रकार का खनन न होने, वर्तमान में गंगा क्षेत्र में चल रहे खनन पर पूर्ण पाबंदी लगाने, सभी स्टोन क्रेशरों को गंगा तट से पांच किलोमीटर दूर स्थापित करने की मांग को लेकर 23 दिनों से आमरण अनशन कर रहे हैं। स्वामी शिवानंद का कहना है कि नियमों के विरुद्ध गंगा में अवैध खनन किया जा रहा है। जिसे लेकर उनका आमरण अनशन जारी है। बताया कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के निदेशक जी. अशोक कुमार ने उत्तराखंड के मुख्य सचिव को पत्र भेजकर गंगा में हो रहे खनन पर पाबंदी लगाए जाने के संबंध में पत्र जारी किया है। लेकिन प्रशासन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के निदेशक के पत्र पर भी गंभीरता से संज्ञान नहीं ले रहा है और प्रशासन की नाक के नीचे गंगा में अवैध तरीके से खनन किया जा रहा है। जब तक मातृ सदन की तीनों प्रमुख मांगों को पूरा नहीं किया जाता है उनका आमरण अनशन इसी तरह जारी रहेगा। स्वामी शिवानंद आमरण अनशन के दौरान प्रतिदिन केवल तीन ग्लास जल ही ग्रहण कर रहे हैं। जिसके चलते उनका उनका शरीर भी कमजोर होने लगा है। बावजूद इसके जिला प्रशासन उनके स्वास्थ्य को लेकर भी गंभीर नहीं है। बताया कि एसडीएम पूरण सिंह राणा ने मातृ सदन में पहुंचकर स्वामी शिवानंद से कई बार बातचीत करते हुए अनशन समाप्त करने का आग्रह किया है। लेकिन मातृसदन का कहना है कि उनकी तीनों प्रमुख मांगों को लेकर प्रशासन गंभीरता नहीं दिखा रहा है।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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