हरिद्वार। जनपद हरिद्वार में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत के स्थानों और पदों का आरक्षण एवं आवंटन हेतु दिशा निर्देश प्रदान किए गये। उक्त शासनादेश के प्रस्तर 12 में अंकित आरक्षण कार्यक्रम को शासनादेश संख्या 1645दिनांक 27 नवंबर,2021 एवं शासनादेश संख्या 145 दिनांक 16 फरवरी, 2022 के द्वारा संशोधित किया गया, जिसे अपरिहार्य कारणों से स्थगित किया गया था।शासनादेश संख्या 167 दिनांक 24 मार्च, 2022 द्वारा जनपद हरिद्वार की त्रिस्तरीय पंचायतों के स्थानों और पदों का आरक्षण एवं आवंटन हेतु पुनः निम्नानुसार नवीन संशोधित समय-सारणी निर्गत की गई है, जिसके अनुसार-आरक्षण प्रस्तावों का अनन्तिम प्रकाशन दिनांक 4अप्रैल, आरक्षण प्रस्तावों पर आपत्तियां दिनांक 05.से 07.अप्रैल तक, जिलाधिकारी द्वारा आपत्तियों का निस्तारण दिनांक 08 से 12.अप्रैल तक, आरक्षण प्रस्तावों का अंतिम प्रकाशन दिनांक 13.अप्रैल आरक्षण प्रस्ताव निदेशालय को उपलब्ध कराया जाना दिनांक 16.अप्रैल तक तथा 18अप्रैल तक निदेशालय द्वारा आरक्षण प्रस्ताव शासन एवं राज्य निर्वाचन आयोग को उपलब्ध कराया जाना है। जिलाधिकारी नेे यह भी अवगत कराया कि पूर्व में निर्गत शासनादेश संख्या 1601 दिनांक 18 नवंबर, 2021 के क्रम में त्रिस्तरीय पंचायतों में प्रधान व प्रमुख पदों तथा ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत व जिला पंचायत के सदस्यों के आरक्षण का प्रस्ताव ग्राम पंचायत कार्यालय, क्षेत्र पंचायत कार्यालय, तहसील कार्यालय, जिला पंचायतराज अधिकारी कार्यालय, जिला पंचायत कार्यालय एवं जिलाधिकारी कार्यालय के सूचना पट में लगाकर प्रदर्शित किया जाएगा तथा उक्त समय सारणी के अनुसार प्राप्त आपत्तियों का निस्तारण कर आरक्षण का अंतिम प्रस्ताव निदेशालय पंचायती राज को उपलब्ध कराया जाएगा।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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