हरिद्वार। फाल्गुन अमावस्या के मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्वालुओं ने गंगा स्नान कर सुख-समृद्वि की कामना की। अमावस्या पर्व के दौरान मायापुर स्थित नारायणी शिला पर बड़ी संख्या में श्रद्धालओं ने अपने पितरों के निमितृ श्राद्वकर्म किए। नारायणी शिला के प्रमुख पंडित मनोज शास्त्री के अनुसार फाल्गुन की अमावस्या के पर्व पर बुधवार के दिन शुभ और सिद्ध योग में होने वाली अमावस्या का पितृदोष के लिए विशेष महत्व है। जिन लोगों को उनके जीवन में पितरों के कारण व्यापार में परेशानी अथवा रोग देखना पड़ रहा है, उन लोगों को नारायणी शिला मंदिर में श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान पित्र दोष की पूजा कराने से लाभ होता है। फाल्गुन की अमावस्या पर पितरों के दोष दूर करने के लिए श्रद्धालु पिंडदान एवं तर्पण करने गंगा घाट पर पहुंचते हैं। गंगा घाट पर स्नान करने के बाद वह पिंडदान एवं तर्पण की क्रिया को पूर्ण करते हैं। इस ही कारण बुधवार को हरकी पैड़ी पर श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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