हरिद्वार। द्वारिका पीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती शंकराचार्य के उत्तराधिकारी स्वामी अवमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि जैसे काशी को क्योटो बनाकर उसकी पौराणिक पहचान खत्म कर दी गई है। ऐसा उत्तराखंड में नहीं होना चाहिए। उत्तराखंड के विकास में इस बात का ध्यान रखा जाए विकास हो लेकिन, उत्तराखंड की संस्कृति को खत्म कर न हो। हरिद्वार आगमन पर कनखल आश्रम में पत्रकारों से वार्ता करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि उत्तराखंड को स्विट्जरलैंड न बनाएं। उत्तराखंड पहाड़ों के साथ देवभूमि है। इसे बचाकर विकास करना होगा। उन्होंने कहा कि बद्रीनाथ का भी मास्टर प्लान बन गया है। हर जगह बुलडोजर चलेगा तो प्राचीन धरोहरों को नुकसान होगा। प्राचीन धरोहरों को संजोते हुए विकास किया जाना चाहिए। अन्यथा बदरीनानाथ बदरीनाथ नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने काशी को क्योटो बनाने की बात कहते हुए पांच सदस्यी दल बनाया। दल में काशी के मेयर को भी शामिल कर उन्हें क्योटो भी भेजा। उन्होंने कहा कि आज काशी को क्योटो बनाने का स्वागत हो रहा है। लोग काशी को पसंद कर रहे हैं, लेकिन काशी के जाने का भी दर्द हो रहा है। मुझ जैसे कई संत काशी में बस गए थे। काशी अब पौराणिक काशी नहीं रही। इसे मंदिर वाले स्थान में न बनाकर खाली मैदान में बनाना उचित होता। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव में जीत मिलने पर भाजपा को बधाई दी। कहा कि भाजपा जनता का विश्वास जीतने में कामयाब रही है। जिसके चलते चार राज्यों में जनता ने भाजपा को पुनः सरकार बनाने का अवसर दिया। उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में भाजपा को शानदार जीत मिली। हालांकि वे अपनी सीट हार गए। धामी युवा व ऊर्जावान नेता है। लंबे समय तक जनता की सेवा करेंगे। इसलिए उन्हें एक बार फिर मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। पत्रकारों द्वारा उत्तराखण्ड में यूनिफार्म सिविल कोड लागू किए जाने की चर्चाओं पर उन्होंने कहा कि वे इससे सहमत नहीं हैं। इसका सर्वाधिक नुकसान हिन्दुओं को ही होगा। धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप का किसी को कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि आपराधिक मामलों में समान कानून की व्यवस्था पहले से ही लागू है। अपराध करने वाला किसी भी धर्म से संबंधित हो। सभी पर समान धाराओं के अंतर्गत ही कार्रवाई की जाती है। इसलिए धार्मिक मामलों मंें हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए। इस अवसर पर ब्रह्मचारी श्रवणानंद, ब्रह्मचारी सर्वभूत हृदयानंद, ब्रह्मचारी मुकुंदानंद, ब्रह्मचारी रामानंद, सचिन गौतम, पंकज दास, रवि, सुदीप अग्रवाल आदि मौजूद रहे।
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