हरिद्वार। गौरैया दिवस पर विलुप्त होती गौरैया को बचाने की अपील करते हुए पक्षी प्रेमी पूनम सौरियाल ने कहा कि वर्तमान दौर में देखा जा रहा है कि गौरैया लगातार कम होती जा रही है। जो चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि कीटनाशक के अधिक प्रयोग के साथ वातावरण में परिवर्तन आदि कारणों से पक्षियों की जनसंख्या पर बहुत प्रभाव पड़ा है। यह एक विचारणीय प्रश्न है और सभी को इस पर ध्यान देना चाहिए। बढ़ता प्रदूषण मानव जीवन के साथ पक्षीयों के लिए भी नुकसानदायक सिद्ध हो रहा है। गौरैया को बचाने के लिए वनविभाग को नीति बनाकर काम करना चाहिए। साथ ही आमजन को भी गौरैया संरक्षण में योगदान करना चाहिए। इसके लिए सभी को अपने घरों की छतों पर गौरैया लिए दाना और पानी उचित स्थानों पर रखकर उन्हें जीवित रखने का अथक प्रयास करना चाहिए। साथ ही पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए भी सहयोग करते हुए अपने आसपास पौधे लगाएं और उनका संरक्षण करें। स्कूल कालेजों, सरकारी दफ्तरों में गौरैया के निवास के लिए घोंसले स्थापित किए जाएं। उन्होंने कहा कि सभी के सहयोग से ही गौरैया व अन्य पक्षियों को बचाया जा सकता है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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