हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का सबसे बड़ा पर्व है। महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की आराधना करने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उक्त उद्गार उन्होंने पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में चरण पादुका स्थित महादेव मनसेश्वर मंदिर में शिवलिंग का जलाभिषेक एवं पूजन के दौरान व्यक्त किये। भगवान शिव से उन्होंने विश्व कल्याण की कामना करते हुए यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध के कारण फंसे भारतीय छात्रों की सकुशल वापसी की प्रार्थना की। श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि रुद्र भगवान शिव का ही प्रचंड रूप हैं, शिव की कृपा से सारे ग्रह बाधाओं और सारी समस्याओं का नाश होता है। शिवलिंग पर मंत्रों के साथ विशेष चीजें अर्पित करना ही रुद्राभिषेक कहा जाता है। रुद्राभिषेक में शुक्ल यजुर्वेद के रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों का पाठ करते हैं। सावन में रुद्राभिषेक करना ज्यादा शुभ होता है। रुद्राभिषेक करने से मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती हैं। रुद्राभिषेक कोई भी कष्ट या ग्रहों की पीड़ा दूर करने का सबसे उत्तम उपाय है। उन्होंने कहा कि महादेव की आराधना का फल भक्तों को पूरे साल मिलता है। लेकिन विशेष अवसरों पर की गई आराधना विशेष फलदायी होती है। जिससे भक्तों की सभी ईच्छाएं पूर्ण हो जाती है। सोमवार को शिव का वार कहा जाता है। उन्होंने कहा कि भगवान शिव की कृपा से यूक्रेन में भारतीय छात्रों की भी सकुशल वापसी होगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार भारतीय छात्रों को सकुशल वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इस अवसर पर मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी अनिल शर्मा, अमृत गिरी, राजपुरी, महेश गिरी, विनोद गिरी, रघुवन, राज गिरी, गंगा गिरी, हेमंत टुटेजा, प्रतीक सूरी आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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