हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विवि के वार्षिकोत्सव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि गुरुकुल कांगड़ी विवि के कुलाधिपति एवं सांसद डॉ. सत्यपाल सिंह ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी विवि भारत के जनमानस के विश्वास का केंद्र रहा है। गुरुकुल कांगड़ी त्याग एवं बलिदान की परम्परा से विकसित हुआ है। कहा कि विश्वविद्यालय की पाठ्यक्रम को वैदिक ज्ञान परम्परा को समाहित करना चाहिए ताकि गुरुकुल के स्नातक भारतीय ज्ञान परम्परा में दीक्षित हो सके। कहा कि आर्य समाज के सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार एवं रक्षा के लिए कृत संकल्पित होना चाहिए। दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा के मंत्री विनय आर्य ने कहा कि गुरुकुल विवि के विकास को लेकर दिल्ली, हरियाणा और पंजाब आर्य प्रतिनिधि सभाएं एक साथ मिलकर कार्य कर रही है। ऐसे में विवि प्रशासन को इसका लाभ उठाना चाहिए। उन्हेंने कहा कि शिक्षक को आत्मचिन्तन से गुजरना चाहिए तथा उसे अपनी संतुष्टि के लिए बाह्य सम्मान की चाह से बचना चाहिए। कहा कि गुरुकुल के छात्र प्रशासनिक सेवाओं, न्यायिक सेवाओं, पत्रकारिता और उच्च शिक्षा में नूतन कीर्तिमान स्थापित करें, इस दिशा में विश्वविद्यालय को गंभीर प्रयास करने चाहिए।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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