हरिद्वार। भारत में दशादिक गुरुकुलों के संस्थापक स्वामी प्रणवानंद सरस्वती ने कहा कि वर्तमान परिस्थिति में गुरुकुलों की स्थापना आवश्यक है। आज की शिक्षा प्रणाली में गुरुकुलों का समावेश वर्तमान पीढी के मार्गदर्शन के लिए एक प्रेरणा का काम करेगा। यह बात उन्होंने सोमवार को गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय में गुरुकुल के वार्षिकोत्सव पर आयोजित एक कार्यक्रम में कही। इससे पूर्व विद्यालय की यज्ञशाला में यज्ञ का आयोजन किया गया। प्रो. मनुदेव बंधु ने गुरुकुल के संस्थापक कुलपिता स्वामी श्रद्धानंद के त्याग को नमन करते हुए गुरुकुल के शतवर्षीय इतिवृत्त पर प्रकाश डाला। स्वामी आर्यवेश ने कहा कि आज वर्तमान शिक्षा प्रणाली परिवर्तनशील है। अनेक विषय वर्तमान में जोड़े जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार गुरुकुलों को संरक्षण नही करेगी तब तक हमारी शिक्षा प्रणाली संपूर्ण नही हो पायेगी। आर्य विद्या सभा के प्रधान ओम प्रकाश आर्य ने कहा कि हमें वेद की शिक्षाओं को घर-घर तक पहुंचाना होगा। तभी स्वामी दयानन्द का सपना एवं स्वामी श्रद्धानंद का संकल्प पूर्ण हो सकता है। आर्य विद्या सभा के मंत्री डा. प्रकाशवीर विद्यालंकार ने कहा कि आपका यहां अध्ययन करना तभी सार्थक होगा जब आप अपने कर्तव्य पथ पर अग्रसर होगें। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री योगेंद्र तोमर ने गुरुकुल शिक्षा को नवीन शिक्षा प्रणाली का अंग बनाने की बात कही। कार्यक्रम में गुरुकुल के मुख्याध्ष्ठिाता डॉ.दीनानाथ शर्मा,सहायक मुख्याधिष्ठाता डॉ. नवनीत परमार, गुरुकुल के प्रधानाचार्य डॉ.,विजेंद्र शास्त्री आदि शामिल रहे।
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