Skip to main content

डा.भीमराव अंबेडकर के जन्मोत्सव पर किया प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन


 हरिद्वार। बी.एच.ई.एल अनुसूचित जाति इम्पलाईज वैलफेयर एसोसिएशन के तत्वाधान में विश्व रत्न बोधिसत्व बाबा साहब डा.भीमराव अम्बेडकर का 131वां जन्मोत्सव एवं प्रतिभा सम्मान समारोह भेल सेक्टर वन स्थित डा.भीमराव अम्बेडकर भवन में हर्षोल्लास एवं धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पी.सी.एस.अधिकारी शर्मिष्ठा गौतम, मूल निवासी विद्यार्थी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललित कुमार मुख्य वक्ता तथा भेल के पूर्व महाप्रबंधक संत कुमार अति विशिष्ठ अतिथी एवं चीफ साह मेहर सिंह, भानपाल रवि,डीआर निडर, अरूण कुमार, मदनपाल, रूपचंद आजाद,अजय कुमार, कर्मवीर, आर.एल. व्यास, जयपाल, ब्रह्मपाल, सी.पी.सिंह, राजेंद्र देवल, मवासी लाल एवं वरिष्ठ समाजसेवी विशिष्ठ अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता भेल के अपर महाप्रबंधक विनोद कुमार ने की। कार्यक्रम का संचालन ब्रिजेश कुमार एवं मुकेश कुमार ने किया गया। कार्यक्रम के दौरान मुख्य वक्ता मूल निवासी विद्यार्थी संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललित कुमार ने बाबा साहब के जीवन परिचय एवं उनके जीवन संघर्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महिलाएं अग्रणी पंक्ति में आकर समाज का नेतृत्व करते हुए बच्चों को शिक्षित कर बाबा साहब द्वारा किये गये समाजिक उत्थान के कार्यो को आगे बढ़ाएं। उन्होने कहा कि जिस समाज की नारी शिक्षित होगी। वह समाज निश्चित रुप से सम्पन्न एवं सभ्य होगा। इसीलिए डा.अंबेडकर ने भारतीय संविधान में स्त्रियों को बराबरी का अधिकार देने का प्रावधान किया। शर्मिष्ठा गौतम ने कहा कि ज्योतिबा फूले, पेरियार, गुरु रविदास, एवं बाबा साहब अम्बेडकर के सपनों के भारत के निर्माण के लिए समाज के प्रत्येक वर्ग को सहयोग करना होगा। संत कुमार ने समाज में फैली कुरीतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी देश के बहुत बड़े समुदाय को अपमानित करने का कुकृत्य किया जा रहा है और उन्हें उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। उन्होने वर्तमान समय में मूल निवासी समाज के सामने आ रही आर्थिक, राजनितिक और सामाजिक चुनौतियों एवं उसने समाधान के बारे में विस्तार पूर्वक समाज को चेताया। शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में उन्होने समाज को गौतम बुद्ध एवं डा.अम्बेडकर की धरोहर को आगे बढाने का आवाह्मन किया। डा.अम्बेडकर भवन से सचिव कुलदीप सिंह ने डा.अम्बेडकर भवन एवं उसमे संचालित डा.भीमराव अम्बेडकर शिक्षा सहभागिता कार्यक्रम की कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालते हुए रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत किया। बी.एच.ई.एल अनुसूचित जाति इम्पलाईज वैलफेयर एसोसिएशन के तत्वाधान में चलाये जा रहे डॉ.भीमराव अम्बेडकर शिक्षा सहभागिता कार्यक्रम के प्रतिभावान बच्चों को अतिथियों द्वारा प्रतिभा सम्मान प्रदान करने के अलावा भेल में कार्यरत एक्सेल पुरस्कार प्राप्त कर्मचारियों को स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। सीपी सिंह ने सभी अतिथीयों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कटारिया, महासचिव मंजीत सिंह, कोषाध्यक्ष सोमपाल सिंह,अम्बेडकर भवन के सचिव कुलदीप सिंह, शिक्षा सहभागिता कार्यक्रम के संयुक्त प्रभारी रविकान्त बंधु, मंदिर समिति के अध्यक्ष जयपाल सिंह, रंजना लाल खंडकिया, आनंद प्रकाश, श्रवण कुमार,योगेश कुमार,सुखपाल सिंह, मोहक्कम सिंह, नितेश दाबड़े,रतिराम,कर्णपाल,योगेंद्र कुमार,शिव कुमार, कुम्भाराम,राजेश कुमार,पवन राठौर,कमल सिंह, सुबोध कुमार, नरेंद्र कर्णवाल,पवन कुमार,अनुज साहनी,अरविंद कुमार,सुधीर वर्मा,अमरजीत सिंह, भगवान दास,अनिल कुमार आदि सहित डॉ.भीमराव अम्बेडकर शिक्षा सहभागिता कार्यक्रम के बच्चों एवं सभी शिक्षको तथा बड़ी संख्या में महिलाएं उपस्थित रही।


Comments

Popular posts from this blog

धूमधाम से गंगा जी मे प्रवाहित होगा पवित्र जोत,होगा दुग्धाभिषेक -डॉ0नागपाल

 112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से  मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से  मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।

बी0ई0जी0 आर्मी तैराक दलों ने 127 कांवडियों,श्रद्धालुओं को गंगा में डूबने से बचाया

  हरिद्वार। जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय के निर्देशन, अपर जिलाधिकारी पी0एल0शाह के मुख्य संयोजन एवं नोडल अधिकारी डा0 नरेश चौधरी के संयोजन में कांवड़ मेले के दौरान बी0ई0जी0 आर्मी के तैराक दल अपनी मोटरबोटों एवं सभी संसाधनों के साथ कांवडियों की सुरक्षा के लिये गंगा के विभिन्न घाटों पर तैनात होकर मुस्तैदी से हर समय कांवड़ियों को डूबने से बचा रहे हैं। बी0ई0जी0 आर्मी तैराक दल द्वारा कांवड़ मेला अवधि के दौरान 127 शिवभक्त कांवडियों,श्रद्धालुओं को डूबने से बचाया गया। 17 वर्षीय अरूण निवासी जालंधर, 24 वर्षीय मोनू निवासी बागपत, 18 वर्षीय अमन निवासी नई दिल्ली, 20 वर्षीय रमन गिरी निवासी कुरूक्षेत्र, 22 वर्षीय श्याम निवासी सराहनपुर, 23 वर्षीय संतोष निवासी मुरादाबाद, 18 वर्षीय संदीप निवासी रोहतक आदि को विभिन्न घाटों से बी0ई0जी0 आर्मी तैराक दल द्वारा गंगा में डूबने से बचाया गया तथा साथ ही साथ प्राथमिक उपचार देकर उन सभी कांवडियों को चेतावनी दी गयी कि गंगा में सुरक्षित स्थानों में ही स्नान करें। कांवड़ मेला अवधि के दौरान बी0ई0जी0आर्मी तैराक दल एवं रेड क्रास स्वयंसेवकों द्वारा गंगा के पुलों एवं घाटों पर माइकिं

गुरु ज्ञान की गंगा में मन का मैल,जन्मों की चिंताएं और कर्त्तापन का बोध भूल जाता है - गुरुदेव नन्दकिशोर श्रीमाली

  हरिद्वार निखिल मंत्र विज्ञान एवं सिद्धाश्रम साधक परिवार की ओर से देवभूमि हरिद्वार के भूपतवाला स्थित स्वामी लक्ष्मी नारायण आश्रम में सौभाग्य कीर्ति गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन उल्लास पूर्वक संपन्न हुआ। इस पावन पर्व के अवसर पर स्वामी लक्ष्मी नारायण आश्रम और आसपास का इलाका जय गुरुदेव व हर हर महादेव के जयकारों से गुंजायमान रहा। परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद (डॉ नारायण दत्त श्रीमाली) एवं माता भगवती की दिव्य छत्रछाया में आयोजित इस महोत्सव को संबोधित करते हुए गुरुदेव नंदकिशोर श्रीमाली ने गुरु एवं शिष्य के संबंध की विस्तृत चर्चा करते हुए शिष्य को गुरु का ही प्रतिबिंब बताया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार स्वयं को देखने के लिए दर्पण के पास जाना पड़ता है,उसी प्रकार शिष्य को गुरु के पास जाना पड़ता है, जहां वह अपनी ही छवि देखता है। क्योंकि शिष्य गुरु का ही प्रतिबिंब है और गुरु भी हर शिष्य में अपना ही प्रतिबिंब देखते हैं। गुरु में ही शिष्य है और शिष्य में ही गुरु है। गुरु पूर्णिमा शिष्यों के लिए के लिए जन्मों से ढोते आ रहे कर्त्तापन की गठरी को गुरु चरणों में विसर्जित कर गुरु आलिंगन में बंधने का दिवस