हरिद्वार। मां चंडी देवी मंदिर परमार्थ ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित गिरी महाराज ने नवरात्रि के दूसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को मां की महिमा का सार समझाते हुए कहा कि नवरात्रि पर्व मां दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति की आराधना का सबसे शुभ और अनोखा पर्व है। जिसमें मां भगवती की विशेष आराधना करने से देवी जगदंबा खुश होकर व्यक्ति के सभी मनोरथ पूर्ण करती है और उन्हें मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। नील पर्वत स्थित सिद्ध स्थल मां चंडी देवी मंदिर के प्रांगण में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए महंत रोहित गिरी महाराज ने कहा कि नवरात्रि आत्म निरीक्षण और शुद्धि की अवधि है। श्रद्धा पूर्वक मां की आराधना करने से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। नवरात्रि में प्रत्येक व्यक्ति अपने अंदर की नकारात्मकता पर विजय प्राप्त कर सकता है और स्वयं के अलौकिक स्वरूप से साक्षात्कार कर सकता है। जिस तरह मां के गर्भ में 9 महीने तक पलने के बाद ही एक जीव का निर्माण होता है। ठीक उसी प्रकार नवरात्रि में 9 दिन हमें अपने मूल रूप तक वापस ले जाने में अहम भूमिका निभाते हैं। इन 9 दिनों का ध्यान सत्संग शांति और ज्ञान प्राप्ति के लिए उपयोग करना चाहिए। वास्तव में नवरात्र व्रत का मूल उद्देश्य है इंद्रियों का संयम और आध्यात्मिक शक्ति का संचय। जो व्यक्ति इस बात को अपने अंतःकरण में उतार लेता है। उसके जन्म जन्मांतर के पापों का शमन होकर आध्यात्मिक और अलौकिक विकास होता है। इस अवसर पर पंडित पंकज रतूड़ी,पंडित राजेश कुकसाल,पंडित रोहित डबराल,पंडित नवल केस्टवाल,पंडित अमित बेलवाल,विशाल कश्यप, संजय कश्यप, मोगली, मोहित राठौर, मनोज कुमार उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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