हरिद्वार। महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा है कि निराकार के स्थान पर साकार की पूजा सार्थक फलदायी होती है। गाय, गंगा और गायत्री सनातन संस्कृति के आधार हैं। जिनका अनुसरण व्यक्ति के जीवन को पूर्णता प्रदान करता है। राजा गार्डन स्थित हनुमान मंदिर सत्संग हॉल में श्रीगीता विज्ञान आश्रम ट्रस्ट के तत्वावधान में आयोजित भागवत कथा के दौरान भगवान की बाल लीला एवं गोवर्धन लीला तथा पूतना उद्धार एवं बकासुर वध का वृतांत सुनाते हुए उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का मार्मिक वर्णन किया। नग्न स्नान को अशुभ बताते हुए उन्होंने कालिया मर्दन को सांस्कृतिक कुरीति समाप्त करने वाले भगवान के संदेश से श्रोताओं को अभिभूत किया। गौचारण,बांसुरी वादन एवं माखन लीला के साथ ही भगवान के महारास को सामाजिक समरसता से जोड़ना ही उनके अवतार का हेतु बताते हुए उन्होंने कहा कि कंस, पूतना और बकासुर को मारने के लिए तो वे किसी को भी भेज सकते थे। लेकिन स्वर्ग के देवता रूपी ब्रज की गोपियों के साथ रचाए गए महारास में सम्मिलित होने के लिए भगवान शिव को भी गोपी रूप धारण करना पड़ा था। देवराज इंद्र का अभिमान तोड़ने के लिए ही उन्होंने गोवर्धन पर्वत को उंगली पर उठाकर निराकार के स्थान पर साकार की पूजा का शुभारंभ कराया। भागवत प्रेमियों को आशीर्वचन देते हुए जूना अखाड़ा के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत देवानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि संत वेदों के ह्रदय हैं और महापुरुष के मुखारविंद से कथा श्रवण करने से पापों का क्षय और पुण्य का उदय होता है। भागवत कथा के एक-एक शब्द से व्यक्ति को सामर्थ्य प्राप्त होती है। आयोजकों ने भगवान को छप्पन भोग लगाकर विधान पूर्वक गोवर्धन पूजा के साथ विश्व कल्याण की कामना की।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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