हरिद्वार। गुरुकुल महाविद्यालय ज्वालापुर के दो दिवसीय वार्षिकोत्सव के पहले दिन प्रथम सत्र में वेद सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्वामी यज्ञमुनि कहा कि वेद की उपादेयता आज के परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिक है। मुख्य अतिथि पतंजलि फाउंडेशन ट्रस्ट पुरकाजी (मुजफ्फरनगर) के संस्थापक आचार्य कर्मवीर ने कहा कि वेद ईश्वरीय वाणी है। वेद सम्मेलन में दिल्ली से आए मुख्य वक्ता डॉ छविकृष्ण शास्त्री ने कहा कि वेद का प्रचार-प्रसार प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में अवश्य करना चाहिए। वेद एक ऐसा ज्ञान है जो सार्वकालिक एवं सार्वभौमिक है। गुरुकुल कांगड़ी विवि के वेद विभाग के अध्यक्ष प्रो डॉ. दिनेश चन्द्र शास्त्री ने कहा कि वेदों को समझने के लिए शास्त्रों की परंपरा है। वेद मानव मात्र के कल्याण के लिए है। डॉ. मनुदेव बन्धु ने कहा कि वेद का उपदेश है कि मनुर्भव मनुष्य बनो। मनुष्य सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ है। प्रोफेसर सत्यदेव निगमालंकार ने कहा कि वेद हमारे जीवन का आधार है। महर्षि दयानन्द के शब्दों में वेद का पढ़ना-पढ़ाना और सुनना-सुनाना सब आर्यो का परम धर्म है। वेद सम्मेलन का संचालन संस्था के आचार्य हेमंत तिवारी ने किया। इस अवसर पर आर्य समाज के प्रधान हाकम सिंह आर्य, फरीदाबाद से आए अमन शास्त्री, स्वामी अग्निवेश, विजय शास्त्री, डॉ. रमेश चंद्र शर्मा आदि शामिल रहे। वेद सम्मेलन के दूसरे सत्र में स्वामी यज्ञमुनि ने कहा कि आर्य युवा ही समाज के ऐसे कर्णधार हैं जो समाज की दिशा और दशा को सुधार सकते हैं। गुरुकुल कण्वाश्रम कोटद्वार के संस्थापक डॉ विश्वपाल जयन्त ने कहा आर्य समाज एक ऐसा सद्पुरुषों का संगठन है जो सभी को एकता के सूत्र में पिरो सकता है। सहायक निदेशक संस्कृत शिक्षा हरिद्वार के डॉ वाजश्रवा आर्य ने आर्य युवा अपनी संस्कृति और संस्कारों की रक्षा करते हुए समाज का मार्गदर्शन करें तथा वैदिक धर्म की रक्षा करें। इससे पूर्व गुरुकुल महाविद्यालय ज्वालापुर के 115 वें वार्षिक महोत्सव का शुभारंभ ध्वजारोहण और यज्ञ से हुआ। इस दौरान पूर्व केबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द, कुलपति डॉ.हरिगोपाल शास्त्री, नन्दलाल सिंह राणा, सोप्रकाश चैहान, डॉ. अजय कौशिक,दिनेश आर्य,अभिषेक चैहान, डॉ वाजश्रवा आर्य, विनीत चैहान, विनय चैहान, योगीराज विश्वपाल जयन्त आदि शामिल रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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