हरिद्वार। श्री भगवानदास आदर्श संस्कृत महाविद्यालय,हरिद्वार को केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नईदिल्ली से पाठ्यक्रम सम्बन्धी मान्यता मिल गयी है। प्रभारी प्राचार्य डॉ. ब्रजेन्द्र कुमार सिंहदेव ने बताया कि विगत, दिनो केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय का एक निरीक्षणदल मान्यता हेतु महाविद्यालय के भौतिक सत्यापन हेतु आया था। जिसने अपनी रिपोर्ट केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,नईदिल्ली को सौंपी थी। विश्वविद्यालय ने रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए महाविद्यालय को आगामी सत्र 2022-23 से मान्यता प्रदान कर दी है। यह मान्यता शास्त्री (बी.ए.ऑनर्स) व्याकरण, साहित्य एवं वेदान्त विषयों के लिए तथा आचार्य (एम.ए.) व्याकरण, साहित्य एवं वेदान्त विषयों के लिए प्रदान की गयी है। आगामी सत्र से नवीन प्रविष्ट छात्र हेतु महाविद्यालय में प्रवेश-प्रक्रिया केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नईदिल्ली के नियमानुसार की जायेगी। उन्होंने कहा कि अभी तक महाविद्यालय को केवल ग्रांट भारत सरकार के शिक्षा मन्त्रलय की आदर्श योजना के नियमानुसार केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नईदिल्ली द्वारा प्रदान की जा रही थी, अब केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता भी प्रदान कर दी गयी है। मान्यता मिलने पर शास्त्री एवं आचार्य की उपाधि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की जायेगी। सत्र 2022-23 हेतु शास्त्री एवं आचार्य कक्षा में प्रवेश-प्रक्रिया केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के नियमानुसार शीघ्र प्रारम्भ की जा रही है। महाविद्यालय में प्रविष्ट छात्रो को अध्ययन हेतु छात्रवृत्ति, आधुनिक तकनीकि के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ संस्कृतशास्त्रो के संरक्षण एवं कैरियर सम्बन्धी अनेक प्रतियोगी परीक्षाओं की शिक्षा भी प्रदान की जायेगी। संस्कृत के छात्रो को केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के माध्यम से अपने भविष्य को संवारने का सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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