हरिद्वार। श्रीगीता विज्ञान आश्रम ट्रस्ट के परमाध्यक्ष स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि नारायण का अवतार सृष्टि में समस्याओं का समाधान कर समरसता का वातावरण स्थापित करने के लिए होता है और भगवान का जन्मोत्सव समाज में करुणा एवं प्रेम के वातावरण की प्रेरणा देता है। जो भक्त भगवान के जन्म उत्सव में सम्मिलित होते हैं। उनका शेष जीवन उत्सव बन जाता है। उक्त उद्गार उन्होंने राजा गार्डन स्थित श्री हनुमान मंदिर सत्संग हॉल में आयोजित भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का वर्णन करते हुए व्यक्त किए। भक्त प्रहलाद और नरसिंह अवतार की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि भक्तों के हृदय में प्रकट होने वाले भगवान को भक्तों की आवश्यकता के अनुरूप लोहे का खंबा फाड़कर प्रकट होना पड़ा। गजराज की एक आवाज पर ग्राह को मुक्ति प्रदान की तो द्रोपदी की आवाज पर बस्त्रावतार से मातृशक्ति की लाज बचाई। लेकिन त्रेता और द्वापर में नारायण ने नर रूप में अवतरित होकर समाज को जीवन जीने तथा मुक्ति पाने का जो संदेश दिया उसको सभी अपने जीवन में आत्मसात करें यही भागवत कथा का हेतु है। भगवान श्री राम के चतुर्भुज रूप और मां की इच्छा पर बाल रूप में प्रकट होने का वृतांत सुनाते हुए उन्होंने श्री कृष्ण जन्म का जो मार्मिक एवं हृदय स्पर्शी वर्णन प्रस्तुत किया। उसे सुनकर सभी श्रोता आनंदित होकर झूम उठे। भगवान के चमत्कारिक अवतार की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा श्रीहरि ने एक साथ दो माता एवं दो पिता को पुत्र रूप में स्नेह देकर जीवन की जिस अनुभूति का एहसास कराया यह भगवान के अवतरण का पहला हेतु था और हर घर में राम एवं कृष्ण जन्म लें। यही इस कथा का उद्देश्य है। भगवान की बाल रूप में प्रस्तुत झांकी का सभी भक्तों ने दर्शन पूजन कर आनंद की अनुभूति की तथा आयोजकों ने माखन मिश्री के भोग प्रसाद से भक्तों का अंतःकरण पवित्र किया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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