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विलक्षण प्रतिभा के धनी संत थे ब्रह्मलीन स्वामी वागीश्वरानन्द महाराज-स्वामी चिदानंद मुनि

 


हरिद्वार। श्री चेतन ज्योति आश्रम में आयोजित गुरूजन स्मृति श्रद्धांजलि समारोह में सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों ने ब्रह्मलीन महामण्डलेश्वर स्वामी वागीश्वरानन्द महाराज एवं भारत साधु समाज के संस्थापक महामंत्री ब्रह्मलीन स्वामी हरिनारायणानंद महाराज को महान संत बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित किए। श्रीचेतन ज्योति आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानन्द महाराज के संयोजन एवं महामण्डलेश्वर ब्रह्मऋषि कुमार स्वामी महाराज की अध्यक्षता में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए परमार्थ निकेतन आश्रम के अध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी वागीश्वरानन्द महाराज विलक्षण प्रतिभा के धनी संत थे। जिन्होंने चेतन ज्योति आश्रम से अनेकों सेवा प्रकल्प प्रारंभ करने के साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाई। राष्ट्र निर्माण में उनका योगदान संत महापुरुषों के परोपकार को दर्शाता है। जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता। ब्रह्मऋषि महामण्डलेश्वर कुमार स्वामी महाराज ने कहा कि महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी शिक्षाएं अनंतकाल तक समाज का मार्गदर्शन करती रहती है और ब्रह्मलीन स्वामी वागीश्वरानन्द महाराज तो साक्षात त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। जिन्होंने भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म की पताका को देवभूमि हरिद्वार के पटल से विश्व भर में फहराया। धर्म एवं संस्कृति के संरक्षण संवर्धन में उनका अतुल्य योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ी अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने ब्रह्मलीन स्वामी वागीश्वरानन्द महाराज एवं स्वामी हरिनारायणानंद महाराज को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि यह दोनो ही संत त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे और संत समाज के प्रेरणास्रोत थे। इनके बताए मार्ग पर चलना ही इन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।  बाबा हठयोगी एवं महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी हरिनारायणानंद एवं स्वामी वागीश्वरानन्द महाराज परोपकार और करुणा की पराकाष्ठा थे। उन्होंने समाज से जात पात ऊंच नीच का भेदभाव मिटाकर समरसता का संदेश दिया और युवा पीढ़ी के भविष्य को देखते हुए उन्हें सदैव संस्कारवान बनने की प्रेरणा दी। उन्हीं के आदर्शो को अपनाकर स्वामी ऋषिश्वरानन्द महाराज संत समाज की सेवा कर अपने गुरु के द्वारा प्रारंभ किए गए सेवा प्रकल्पों में निरंतर बढ़ोतरी कर रहे हैं। चेतन ज्योति आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानन्द महाराज ने कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संत महापुरुष राष्ट्र की धरोहर हैं और गुरु शिष्य परंपरा भारत को महान बनाती है। पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन स्वामी वागीश्वरानन्द महाराज महान एवं तपस्वी संत थे। जिनकी प्रेरणा आज भी चेतन ज्योति आश्रम का कुशल संचालन करने में उनका मार्गदर्शन कर रही है। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी हरिनारायणानंद महाराज ने सदैव एक युग प्रवर्तक के रूप में कार्य करते हुए धर्म एवं संस्कृति को नई दिशा दी और भारत साधु समाज के माध्यम से सभी संतो को एक मंच पर लाकर देश की एकता अखंडता बनाए रखने में योगदान दिया। ऐसे महापुरुषों का योगदान भारतीय इतिहास में सदैव अमर रहेगा। कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का महंत शिवानंद महाराज ने फूल माला पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर महंत दुर्गादास, महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश, महामंडलेश्वर स्वामी परमात्मदेव, महामंडलेश्वर स्वामी हरिवल्लभ दास शास्त्री, महंत प्रहलाद दास, बाबा हठयोगी, स्वामी ऋषि रामकृष्ण, महंत कामेश्वर पुरी, महंत कपिल मुनि, महंत निर्मल दास,स्वामी गंगादास उदासीन, स्वामी रविदेव शास्त्री,स्वामी हरिहरानंद,स्वामी दिनेश दास, महंत लोकेश दास, स्वामी ज्ञानानंद शास्त्री, स्वामी रामजी महाराज, मनोज महंत, महंत विजय सारस्वत,महंत कल्याणदेव, योगी सत्यव्रतानंद,महंत राजेंद्रदास ब्रह्मचारी,महंत रामानंद,महंत रघुवीर दास,महंत बिहारी शरण, महंत विष्णुदास,अधिवक्ता राजेश रस्तोगी सहित अनेक संत महापुरुष व गणमान्य लोग उपस्थित रहे।


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