हरिद्वार। श्रीगीता विज्ञान आश्रम ट्रस्ट के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि हनुमानजी भक्त और भगवान के बीच के सेतु और शिव के अवतारी हैं। हनुमान जी एक मात्र ऐसे देव हैं। जो भक्त और भगवान दोनों के संकटों का समाधान कर सुख और शांति का मार्ग प्रशस्त करते हैं। वे आज राजा गार्डन स्थित हनुमत गौशाला हनुमान मंदिर सत्संग भवन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा की पूर्णाहुति तथा हनुमान जयंती के अवसर पर आयोजित संत सम्मेलन में पधारे भक्तों को आशीर्वचन दे रहे थे। मंत्र सृष्टि से अवतरित हुए भगवान राम एवं हनुमान को संपूर्ण जनमानस के लिए प्रेरणादायी बताते हुए उन्होंने सुंदरकांड के वृतांतों पर भी प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन करते हुए आचार्य हरिओम ने गीता में दिए गए भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य ज्ञान पर चर्चा की, महामंडलेश्वर स्वामी आनंद चैतन्य ने कहा कि भगवान जिस पर कृपा करते हैं। उसे अपने जैसा बना देते हैं। श्रीरामकृष्ण मिशन के अध्यक्ष स्वामी नित्यशुद्धानंद महाराज ने गीता विज्ञान आश्रम ट्रस्ट के सेवा प्रकल्पों की सराहना करते हुए कहा कि गाय, गीता और गायत्री की सेवा ही सबसे बड़ी भगवत आराधना है जो महाराजश्री के सानिध्य में अनवरत चलती रहती है । इससे पूर्व महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने सुदामा चरित्र की कथा, 9 योगेश्वर एवं 24 गुरुओं की कथा के साथ श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ की पूर्णाहुति की। इस अवसर पर आचार्य शिशुपाल,कोठारी सियाराम ब्रह्मचारी,अवधेश ब्रह्मचारी, नरेश शर्मा,अशोक गुप्ता,सतीश बंसल, चंद्रशेखर तथा पुष्पेंद्र बंसल सहित दिल्ली,हरियाणा,राजस्थान, उत्तर प्रदेश ,पंजाब और गुजरात एवं बंगाल से पधारे भक्तों ने विश्वकल्याण महायज्ञ में आहुति देकर विश्व शांति की कामना की।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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