हरिद्वार। ब्रह्मलीन पंडित स्वामी जगन्नाथ महाराज का 36वां निर्वाण महोत्सव सप्त सरोवर मार्ग स्थित ब्रह्म निवास आश्रम में षड्दर्शन साधु समाज एवं सभी 13 अखाड़ों के संत महंतों के सानिध्य में मनाया गया और श्री गरीबदास महाराज की अमृतवाणी का अखंड पाठ आयोजित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी परमात्मदेव महाराज ने कहा कि संतों का जीवन पुरुषार्थ को सदैव समर्पित रहता है। अपने भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाले संत महापुरुष समाज को धर्म एवं संस्कृति का बोध कराते हैं। भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म की गौरवशाली परंपराएं विश्व विख्यात हैं और गुरु शिष्य परंपरा पूरे विश्व में भारत को एक अलग स्थान देती है। ब्रह्मलीन स्वामी जगन्नाथ महाराज एक महान एवं तपस्वी संत थे। जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के प्रचार प्रसार हेतु समर्पित किया। स्वामी कृष्णदेव वेदांताचार्य महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी जगन्नाथ देव महाराज एक परोपकारी महापुरुष थे। उनके द्वारा प्रदान की गई शिक्षाएं आज भी प्रसांगिक है और अनंत काल तक लोगों का मार्गदर्शन करती रहेंगी। उनके प्रेरणादायक जीवन से सभी को सीख लेकर समाज कल्याण में अपना योगदान देना चाहिए। स्वामी नित्यशुद्धानंद, महामण्डलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी एवं कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने ब्रह्मलीन स्वामी जगन्नाथ महाराज को भावपूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि कहा कि संतो का जीवन हमेशा अपने भक्तों के कल्याण के लिए समर्पित रहता है। ब्रह्मलीन स्वामी जगन्नाथ महाराज ने उनके सानिध्य में आए भक्तों को उचित मार्गदर्शन प्रदान कर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया। महंत निर्मलदास महाराज एवं महंत सुतीक्ष्ण मुनि महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है और ब्रह्मलीन स्वामी जगन्नाथ देव महाराज तो साक्षात त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। इस अवसर पर कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का नितेश यादव एवं नितिन यादव दिल्ली वालों ने फूल माला पहनाकर स्वागत कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर स्वामी नित्यशुद्धानंद,महंत जसविंदर सिंह,महंत रघुवीर दास,महंत बिहारी शरण,महंत अंकित शरण,स्वामी दिनेशदास,महंत श्रवण मुनि,स्वामी रविदेव शास्त्री,स्वामी हरिहरानंद ,महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी,बाबा हठयोगी,महंत शिवानंद, महंत प्रह्लाद दास, महंत दुर्गादास सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।
हरिद्वार। ब्रह्मलीन पंडित स्वामी जगन्नाथ महाराज का 36वां निर्वाण महोत्सव सप्त सरोवर मार्ग स्थित ब्रह्म निवास आश्रम में षड्दर्शन साधु समाज एवं सभी 13 अखाड़ों के संत महंतों के सानिध्य में मनाया गया और श्री गरीबदास महाराज की अमृतवाणी का अखंड पाठ आयोजित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी परमात्मदेव महाराज ने कहा कि संतों का जीवन पुरुषार्थ को सदैव समर्पित रहता है। अपने भक्तों को ज्ञान की प्रेरणा देकर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाले संत महापुरुष समाज को धर्म एवं संस्कृति का बोध कराते हैं। भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म की गौरवशाली परंपराएं विश्व विख्यात हैं और गुरु शिष्य परंपरा पूरे विश्व में भारत को एक अलग स्थान देती है। ब्रह्मलीन स्वामी जगन्नाथ महाराज एक महान एवं तपस्वी संत थे। जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के प्रचार प्रसार हेतु समर्पित किया। स्वामी कृष्णदेव वेदांताचार्य महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी जगन्नाथ देव महाराज एक परोपकारी महापुरुष थे। उनके द्वारा प्रदान की गई शिक्षाएं आज भी प्रसांगिक है और अनंत काल तक लोगों का मार्गदर्शन करती रहेंगी। उनके प्रेरणादायक जीवन से सभी को सीख लेकर समाज कल्याण में अपना योगदान देना चाहिए। स्वामी नित्यशुद्धानंद, महामण्डलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी एवं कोठारी महंत जसविंदर सिंह महाराज ने ब्रह्मलीन स्वामी जगन्नाथ महाराज को भावपूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि कहा कि संतो का जीवन हमेशा अपने भक्तों के कल्याण के लिए समर्पित रहता है। ब्रह्मलीन स्वामी जगन्नाथ महाराज ने उनके सानिध्य में आए भक्तों को उचित मार्गदर्शन प्रदान कर उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया। महंत निर्मलदास महाराज एवं महंत सुतीक्ष्ण मुनि महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है और ब्रह्मलीन स्वामी जगन्नाथ देव महाराज तो साक्षात त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। इस अवसर पर कार्यक्रम में पधारे सभी संत महापुरुषों का नितेश यादव एवं नितिन यादव दिल्ली वालों ने फूल माला पहनाकर स्वागत कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर स्वामी नित्यशुद्धानंद,महंत जसविंदर सिंह,महंत रघुवीर दास,महंत बिहारी शरण,महंत अंकित शरण,स्वामी दिनेशदास,महंत श्रवण मुनि,स्वामी रविदेव शास्त्री,स्वामी हरिहरानंद ,महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी,बाबा हठयोगी,महंत शिवानंद, महंत प्रह्लाद दास, महंत दुर्गादास सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।
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