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संस्कृत भाषा को विज्ञान, तकनीकी, मीडिया, राजनीति आदि विषयों से जोड़ना होगा-गुरमीत सिंह

 दीक्षान्त समारोह मे महामहिम कुलाधिपति ने दो सत्रो के 5620 छात्रो को डिग्रियां पदान की


हरिद्वार। उत्तराखण्ड के राज्यपाल एवं संस्कृत विवि के कुलाधिपति महामहिम राज्यपाल ने दीक्षान्त समारोह में हरिद्वार। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.) ने कहा है कि संस्कृत भाषा को आधुनिक विषयों से समन्वय स्थापित करते हुए विज्ञान, तकनीकी, मीडिया, राजनीति, इतिहास आदि विषयों से जोड़ना होगा। महामहिम राज्यपाल गुरूवार को उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के नौवें दीक्षान्त समारोह मुख्य अतिथि के रूप मे संबोधित कर रहे थे। दीक्षांत समारोह में उत्तराखण्ड के राज्यपाल और कुलाधिपति ले.जनरल गुरमीत सिंह ने आज 5620 छात्रों को डिग्रियां प्रदान की है। इनमें 29 बच्चों को गोल्ड मैडल प्रदान किये गए गए तो 13 बच्चों को पीएचडी की उपाधियां दी गयी। जिन बच्चों को उपाधियां प्रदान की गई है वे सभी बच्चे दो सत्र 2019-20 और 2021-22 सत्र के बच्चे है। राज्यपाल ने कहा कि मुझे अपार खुशी हो रही है कि देवभूमि की संस्कृति और संस्कृत भाषा के रक्षक विद्वान यहाँ उपस्थित हैं। सदियों पूर्व हमारे ऋषि-मुनि संस्कृत भाषा का प्रयोग करते थे। उन्होंने कहा कि राज्यों के शासन में भी संस्कृत भाषा का प्रयोग होता था। संस्कृत का अलौकिक ज्ञान, प्राचीनकाल से ही देश और दुनिया के लिए रिसर्च का विषय रहा है। दुनिया ने संस्कृत के इस महत्व को समझा है। राज्यपाल ने कहा कि संस्कृत के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि जर्मनी, फ्रांस, रशिया, बाल्टिक देशों में संस्कृत पर शोध हुए हैं। उन्होंने कहा कि आज के युग में वैज्ञानिकों, इंजीनियर्स और तकनीकी से जुड़े लोगों को संस्कृत का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा के डिजिटलाइजेशन के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स,सोशल मीडिया व मास मीडिया से संस्कृत भाषा का जोड़ना जरूरी है। राज्यपाल ने कहा कि हम तकनीकी युग में जी रहे हैं इस तकनीक का उपयोग भारतीय चिंतन के प्रसार और मानवमात्र के कल्याण के लिए करना होगा। संस्कृत भाषा को आधुनिक विषयों से समन्वय स्थापित करते हुए विज्ञान, तकनीकी, मीडिया, राजनीति, इतिहास आदि विषयों से जोड़ना होगा। उन्होंने सुझाव दिया कि योग व संस्कृत की मांग को पूरा करने के लिए तकनीकी को उपयोग में लाकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए संस्कृत विश्वविद्यालय दीर्घकालीन योजना पर कार्य करे। उन्होंने विश्वविद्यालय से सामाजिक उत्तरदायित्वों को निभाने की दिशा में भी कार्य करने की अपेक्षा की।राज्यपाल ने विश्वविद्यालय से अपेक्षा की कि संस्कृत, योग और अन्य शास्त्रों को सीखने व सिखाने में बेटियां भी अपना योगदान करें। उन्होंने कहा कि आज बेटियां हर क्षेत्र में अपने कौशल व प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही हैं,जो शुभ संकेत हैं। दीक्षान्त समारोह में राज्यपाल ने 13 शोधार्थियों को पी.एच.डी की उपाधियां प्रदान करने के साथ-साथ कुल 29 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक वितरित किये। इस अवसर पर कुलपति उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय प्रो.देवी प्रसाद त्रिपाठी ने विश्वविद्यालय द्वारा संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा दिये जाने हेतु किये जा रहे अभिनव प्रयोगों व क्रियाकलापों की जानकारी दी। दीक्षान्त समारोह में सचिव संस्कृत शिक्षा चन्द्रेश कुमार यादव, जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय, एस.एस.पी डॉ. योगेन्द्र सिंह रावत,वि.वि के कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी, अपर जिलाधिकारी पी0एल0 शाह, नगर मजिस्ट्रेट अवधेश कुमार सिंह, एस0डी0एम0 पूरन सिंह राणा के अलावा वि.वि के कार्यपरिषद् एवं विद्यापरिषद् के सदस्यों सहित वि.वि के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। 

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