हरिद्वार। नई शिक्षा नीति-२०२० के तहत देश के विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों में फ्लेक्सिबल एकेडमिक प्रोग्राम (एफएपी) शुरु किया जाएगा। इसको लागू करने के लिए गठित राष्ट्रीय समिति ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय का चयन किया है। एफएपी को लागू करने वाले उच्च शैक्षणिक संस्थानों में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के अलावा देश के सभी भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम), भारतीय औद्योगिक संस्थान (आईआईटी), गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान (प्रयागराज),दिल्ली विश्वविद्यालय,जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (दिल्ली), इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय, बी.एच.यू. एवं अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों को नाम शामिल किया है।देशभर में एफएपी को लागू के लिए राष्ट्र स्तरीय समिति का गठन किया गया है, जिसमें एफएपी के सभी बिन्दुओं पर गहराई से चर्चा की गई एवं इसको सफल बनने के लिए पूरी योजना तैयार की गई। इस समिति के राष्ट्रीय समन्वयक प्रो. नितीश पुरोहित हैं, जो भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान, इलाहाबाद में शैक्षिक अधिष्ठाता के पद पर कार्यरत हैं। इस समिति ने देव संस्कृति विश्वविद्यालय को भी देश के विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों के साथ सूची में शामिल किया है। देसंविवि में एफएपी मानविकी यानी ह्यूमैनिटीज और सामाजिक विज्ञान के विषयों में लागू किया जाएगा। आपको बता दें कि एफएपी नई शिक्षा नीति-२०२० में प्रस्तावित किया गया था और अब इसको देश के विभिन्न विख्यात संस्थान लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एफएपी के तहत उच्च शिक्षा के लिए उपयुक्त प्रमाणीकरण के साथ कई प्रविष्ठियां और निकास बिंदु होंगे। इसके अनुसार स्नातक कोर्स ३ या ४ साल के हो सकते हैं। जिसमें कई सारे एग्जिट ऑप्शन होंगे। ये सभी एग्जिट ऑप्शन उचित सर्टिफिकेशन के साथ होंगे, जैसे कि यदि छात्र ने एक साल स्नातक कोर्स में पढ़ाई की है तो उसे सर्टिफिकेट दिया जाएगा, दो साल के बाद एडवांस डिप्लोमा दिया जाएगा, तीन साल के बाद डिग्री दी जाएगी और ४ साल के बाद रिसर्च के साथ बैचलर की डिग्री दी जाएगी।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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