हरिद्वार। ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी द्वारा स्थापित भारत माता मंदिर का 40वां पाटोत्सव जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि के सानिध्य में भारत माता की पूजा-अर्चना और आरती के साथ मनाया गया। स्वामी अवधेशानंद गिरी ने कहा कि भारत माता मंदिर राष्ट्र की एकता अखंडता और समन्वयवादी गुरुदेव की विचारधारा का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1983 में जब भारत में आतंकवाद चरम पर था। धर्म के नाम पर देश की एकता-अखंडता दांव पर लगी थी, ऐसे समय में गुरुदेव ब्रह्मलीन स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी ने हरिद्वार में भारत की एकता-अखंडता और समन्वय वादी परंपरा को कायम रखने के लिए भारत माता मंदिर की स्थापना की थी। भारत माता मंदिर समन्वय सेवा ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी आईडी शर्मा ने कहा कि ब्रह्मलीन गुरुदेव ने जो परंपराएं स्थापित की थीं उन्हें वर्तमान अध्यक्ष जूना पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। भारत माता मंदिर के श्रीमहंत महामंडलेश्वर ललितानंद गिरि ने कहा कि गुरुदेव ने अपना सारा जीवन भारत की एकता और अखंडता और विविधता को एक सूत्र में बांधे हुए गिरिवासियों, वनवासियों, आदिवासियों की सेवा का संकल्प लिया था। इस अवसर पर जूना अखाड़ा के पूर्व सचिव श्रीमहंत देवानंद सरस्वती,महामंडलेश्वर स्वामी यतीन्द्रानंद गिरी,महामंडलेश्वर प्रेमानंद,महामंडलेश्वर शिवानंद,महामंडलेश्वर अनंता नंद,सतपाल ब्रह्मचारी, कमलानंद,महंत दुर्गादास,महंत जमुनादास,महंत प्रेमदास,महंत रघुवीर दास,महंत रविदेव शास्त्री, आचार्य हरिहरानंद सहित अखाड़ों के महामंडलेश्वर, महंत, संत आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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