हरिद्वार। श्री अखण्ड परशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक के संयोजन में अखाड़े के सदस्यों ने श्री परशुराम घाट पर महाराणा प्रताप की जयंती मनायी। इस अवसर पर सभी को महाराणा प्रताप जयंती की बधाई देते हुए पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि महाराणा प्रताप मेवाड़ के महान राजा थे। सोलहवी शताबदी के राजपूत शासको मे सिर्फ महाराणा प्रताप ही ऐसे शासक थे जो अकबर को लगातार टक्कर देते रहे। महाराणा प्रताप युद्ध् में जाने से पहले जो कवच अपनी छाती पर लगाते थे उसका वजन ही 72 किलो था। युद्ध में अपनें दुश्मनों को धूल चटाने के लिए वह जिस भाले का इस्तेमाल करते थे उसका वजन 82 किलो होता था। महाराणा प्रताप की ढाल, भाला, कवच और तलवारों सब का वजन अगर मिला दें तो वह लगभग 208 किलो था। एक ऐसा शूरवीर और बलवान योद्धा जिसके सपने देख कर ही दुश्मन डर जाता था। जिन्होने एक नही ना जाने कितनी बार मुगलो को धूल चटाई। हल्दीघाटी उनके शौर्य और वीरता की गाथा खुद कहती है। उनका घोड़ा चेतक भी स्वामीनिष्ठा की अदूभूत मिसाल था। उनकी जयंती पर सभी अपने घरो में दीप जलाए और अपने बच्चो को उनके बारे में बताए। अपने स्वर्णिम इतिहास के बारे में बताए। जिससे उनको सीख मिले और वे अपने कार्य क्षेत्र में बेहतर बने। उनकी निर्णायक क्षमता बढ़े और धर्म-अर्धम का सही ज्ञान प्राप्तउ कर वे अपने जीवन में सही मार्ग चुनने में समर्थ हो सके।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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