हरिद्वार। श्री अखण्ड परशुराम अखाड़े के अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि सनातन धर्म में वैशाख मास का काफी महत्व है। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। इसी दिन परशुराम जयंती भी मनाई जाती है। अक्षय तृतीया का पर्व बेहद शुभ और सौभाग्यशाली माना जाता है। इस दिन स्नान, दान, जप, तप, श्राद्ध और अनुष्ठान का बहुत महत्व है। भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का अवतार अक्षय तृतीया को ही हुआ था। इसलिए इस दिन को परशुराम अवतरण दिवस के रूप में भी मनाते हैं। पौराणिक मान्यता है कि भंडार और रसोई की देवी माता अन्नपूर्णा का जन्म भी अक्षय तृतीया के दिन हुआ था। अक्षय तृतीया को मां अन्नपूर्णा की भी पूजा की जाती है। मां अन्नपूर्णा के प्रसन्न हो जाने पर कभी भी अन्न के भंडार खाली नहीं रहते। संपन्ना और खुशहाली रहती है। अक्षय तृतीया को ही भगवान श्रीकृष्ण के बाल सखा सुदामा की मुलाकात श्रीकृष्ण से हुई थी। अक्षय तृतीया को भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को अक्षय पात्र प्रदान किया था। राजा भगीरथ की हजारों साल की तपस्या के बाद अक्षय तृतीया को ही गंगा पृथ्वी पर आयी थी और राजा भगीरथ के पूर्वजों को मोक्ष प्रदान किया था। पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि अक्षय तृतीया पर दान करने वाले व्यक्ति को वैकुंठ धाम में जगह मिलती है, इसलिए इसे दान का महापर्व माना गया है। इस दिन गंगा स्नान करके जौ का दान अवश्य करना चाहिए। इससे मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। अक्षय तृतीया पर कलश का दान व पूजन अक्षय फल प्रदान करता है। जल से भरे कलश को मंदिर या किसी जरूरतमंद को दान करने से ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही पितरों को भी अक्षय तृप्ति प्राप्त होती है और नवग्रह की शांति होती है।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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