हरिद्वार। बैरागी कैंप स्थित श्री परशुराम ब्राह्मण धर्मशाला समिति के तत्वावधान में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन श्रद्धालु भक्तों को कथा श्रवण कराते हुए कथा व्यास महंत अंकितदास महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान का वह भण्डार है। जिसे जितना ग्रहण करो जिज्ञासा उतनी ही बढ़ती है। श्रीमद्भागवत कथा साक्षात श्रीहरि की वाणी है। गंगा तट पर संत महापुरूषों के सानिध्य में कथा श्रवण का अवसर भाग्यशाली व्यक्ति को ही प्राप्त होता है। महंत अंकितदास महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा श्रवण के प्रभाव से जीवन पूरी तरह बदल जाता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को कथा श्रवण अवश्य करना चाहिए। ज्ञान गंगा गौशाला के परमाध्यक्ष महंत रामदास महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा श्रवण की महिमा अनंत है। सच्चे हृदय से कथा श्रवण करने से तन और मन की शुद्धि होती है। सात्विक विचारों का उदय होता है और श्रीहरि की कृपा से परिवार के सभी संकट दूर हो जाते हैं। परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। श्री परशुराम ब्राह्मण धर्मशाला समिति के अध्यक्ष पवन शर्मा ने कथा में पधारे सभी संत महापुरुषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि अक्षय पुण्य प्रदान करने वाली श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन व श्रवण सदैव कल्याणकारी होता है। उन्होंने कहा कि गंगा तट पर संत महापुरूषों के सानिध्य में आयोजित की जा रही श्रीमद्भागवत कथा अवश्य ही सभी के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगी। पवन शर्मा ने बताया कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदास महाराज भी कथा में सम्मिलित होंगे तथा धर्मशाला का उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर महंत संजय दास,महंत हेमंत दास,महंत लोकेश दास,महंत रघुवीर दास,महंत बिहारी शरण,महंत अंकित शरण, महंत प्रह्लाद दास, डा.धर्मपाल, समाजसेवी जयभगवान,स्वामी रविदेव शास्त्री,महंत सुतीक्ष्ण मुनि,स्वामी हरिहरानंद,महंत सूरजदास,महंत गोविंद दास, महंत अगस्त दास, महंत निर्मल दास, सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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