हरिद्वार। भारत माता मंदिर के श्रीमहंत एवं निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि महाराज ने प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली भगवान विश्वनाथ मां जगदीशीला डोली यात्रा के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि डोली यात्रा बुधवार को हरिद्वार पहुंचेगी। हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान, पूजन के बाद डोली यात्रा विभिन्न शक्तिपीठों, मंदिरों का भ्रमण करते हुए शाम को होटल हर की पौड़ी में विश्राम करेगी। बृहस्पतिवार को प्रातः देहरादून होते हुए उत्तराखंड यात्रा के लिए प्रस्थान करेगी। उन्होंने बताया कि पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं डोली यात्रा के संयोजक मंत्री प्रसाद नैथानी 23वीं भगवान विश्वनाथ मां जगदीशीला डोली यात्रा को लेकर 11 मई को कुंभ नगरी हरिद्वार हर की पौड़ी पहुंचेंगे। उन्होंने बताया कि 30 दिवसीय देवदर्शन डोली यात्रा पहले दिन हरिद्वार से शुरू होकर अगले दिन देहरादून पहुंचेगी। यहां नगर निगम में डोली के दर्शन और स्वागत किया जाएगा। डोली यात्रा उत्तराखंड के सभी 13 जनपदों में 10500 किलोमीटर की दूरी तय कर 9 जून को गंगा दशहरा पर्व पर विशौन पर्वत नीलछाडा स्थित भगवान विश्वनाथ मां जगदीशीला तीर्थ धाम में समाप्त होगी। हरिद्वार में यात्रा के संयोजक आमेश शर्मा के संयोजन में नवीन दुबे, मनोज झा, अंकुर पालीवाल, संजय सिंघल, मोनू सक्सेना, आशीष, वरुण शर्मा एडवोकेट,समाजसेवी अनीता वर्मा,संजय वर्मा, पार्षद दल के उप नेता अनिरुद्ध भाटी एवं सामाजिक संगठन भगवान विश्वनाथ मां जगदीशीला डोली यात्रा का स्वागत करेंगे। आमेश शर्मा ने बताया कि 11 मई को प्रातः हर की पौड़ी पर गंगा पूजन एवं डोली स्नान के पश्चात बाबा विश्वनाथ मां जगदीश शीला डोली यात्रा पंचमुखी हनुमान मंदिर,गुप्तेश्वर महादेव,मां मनसा देवी,माया देवी,दक्ष प्रजापति,दरिद्र भंजन महादेव,तिलभांडेश्वर महादेव,गुरुद्वारा सतीघाट सहित विभिन्न शक्तिपीठों, मंदिरों का भ्रमण करेगी।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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