हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने पंतजलि योगपीठ के कोषाध्यक्ष एवं योगगुरू बाबा रामदेव के निकट सहयोगी ब्रह्मलीन स्वामी मुक्तानंद महाराज के ब्रह्मलीन होने पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी मुक्तानन्द महाराज विद्वान एवं तपस्वी संत थे। दिव्य योग मंदिर एवं पतंजलि योगपीठ के संस्थापकों में शामिल रहे स्वामी मुक्तानन्द महाराज योग व आयुर्वेद के भी महान विद्वान थे। योग व आयुर्वेद के माध्यम से देश सेवा में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। उनके ब्रह्मलीन होने से हुई क्षति को कभी पूरा नहीं किया जा सकेगा। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दे और योग गुरू बाबा रामदेव व आचार्य बालकृष्ण महाराज को इस दुख को सहन करने की शक्ति प्रदान करे। अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने ब्रह्मलीन स्वामी मुक्तानन्द महाराज को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि स्वामी मुक्तानन्द के ब्रह्मलीन होने से संत समाज को गहरी क्षति पहुंुची है। योग व आयुर्वेद के माध्यम से पूरी दुनिया को निरोगी बनाने के पतंजलि के अभियान में उन्होंने जीवनपर्यन्त अहम योगदान दिया। श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह शास्त्री व श्रीमहंत रघुमुनि ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी मुक्तानन्द महाराज ने भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति योग व आयुर्वेद को पूरी दुनिया में प्रतिष्ठित करने में स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया। उनके द्वारा प्रदत्त ज्ञान व शिक्षाएं अनन्तकाल तक समाज का मार्गदर्शन करती रहेंगी। कालिका पीठाधीश्वर श्रीमहंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी मुक्तानन्द महाराज मधुरभासी व सरल स्वभाव के संत थे। स्वामी हरिचेतनानन्द,पूर्व मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द, स्वामी ऋषिश्वरानन्द, स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, कालिका पीठाधीश्वर श्रीमहंत सुरेंद्रनाथ अवधूत, चण्डी देवी मंदिर के अध्यक्ष महंत रोहित गिरी, महंत दामोदर दास,महंत जसविन्दर सिंह, बाबा बलराम दास हठयोगी, पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी,स्वामी रामेश्वरानन्द सरस्वती,महंत देवानन्द,स्वामी ललितानन्द गिरी,महंत निर्मलदास,स्वामी रविदेव शास्त्री,महंत रूपेंद्र प्रकाश,स्वामी कपिल मुनि,महंत रघुवीर दास,महंत विष्णुदास, महंत सूरजदास ने भी स्वामी मुक्तानन्द के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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