हरिद्वार। सोमवती अमावस्या पर स्नान के लिए रविवार को कई राज्यों से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। यात्रा सीजन, सोमवती अमावस्या स्नान और वीकएंड की भीड़ के चलते शहर के अंदर से लेकर हाईवे तक वाहनों का दबाव बढ़ गया। उत्तरी हरिद्वार में दिनभर जाम लगता रहा। वहीं, हाईवे पर दिनभर वाहन रेंग-रेंगकर चले। वाहनों की संख्या के आगे हाईवे छोटा नजर आया और पार्किंग भी कम पड़ गई। यातायात डायवर्जन लागू करने के बाद भी खास राहत नहीं मिल पाई। दिल्ली की तरफ से आ रहे वाहन बैरागी कैंप पार्किंग में पार्क कराए गए। इधर, सहारनपुर की तरफ से आ रहे वाहन सिंहद्वार चैक से बैरागी कैंप भेजे गए। शहर के अंदर भी यातायात के दबाव का असर नजर आया। स्नान पर्व को लेकर श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ना अलसुबह से ही शुरू हो गया था। दिन निकलने के साथ ही हरकी पैड़ी बाईपास से सटी पंडित दीनदयाल पार्किंग व पंतद्वीप पार्किंग भर गई थी। इसके बाद चमगादड़ टापू पार्किंग भी फुल होने लगी। यातायात के बढ़ते दबाव को देखते हुए दिल्ली की तरफ से आ रहे यात्री वाहन को वाया नगला इमरती, लक्सर, फेरूपुर, जगजीतपुर होते हुए बैरागी कैंप भेजा गया। इधर, सिंहद्वार चैक पर भी सुबह 10 बजे से डायवर्जन लागू करते हुए वाहन देशरक्षक तिराहे, बुड्ढी माता तिराहे से श्रीयंत्र मंदिर होते हुए बैरागी कैंप में पार्क कराए गए, दोपहर बाद करीब साढ़े तीन बजे सिंहद्वार चैक से डायवर्जन हटा दिया गया। लेकिन, नगला इमरती से यात्री वाहन डायवर्जन व्यवस्था से ही आते रहे। शिवमूर्ति चैक से आगे जीरो जोन लागू करते हुए ई-रिक्शा, आटो रिक्शा, विक्रम पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिए। ज्वालापुर की तरफ से आ रहे वाहनों को शिवमूर्ति चैक से वापस तुलसी चैक होते हुए भेजा गया। सोमवार को भी यही व्यवस्था लागू रहेगी।
हरिद्वार। भाजपा की ओर से ऋषिकेश मेयर,मण्डल अध्यक्ष सहित तीन नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में नोटिस जारी किया है। एक सप्ताह के अन्दर नोटिस का जबाव मांगा गया है। भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता के आरोप में ऋषिकेश की मेयर श्रीमती अनिता ममगाईं, ऋषिकेश के मंडल अध्यक्ष दिनेश सती और पौड़ी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुकेश रावत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनबीर सिंह चैहान के अनुसार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के निर्देश पर प्रदेश महामंत्री कुलदीप कुमार ने नोटिस जारी किए हैं। नोटिस में सभी को एक सप्ताह के भीतर अपना स्पष्टीकरण लिखित रूप से प्रदेश अध्यक्ष अथवा महामंत्री को देने को कहा गया है।
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