हरिद्वार। उत्तराखंड के दुर्गम सीमांत आदिवासी क्षेत्र के रहने वाले मनोज गोरकेला को उनके राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिली उपलब्धियां को ध्यान में रखकर कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़ के द्वारा एलएलडी की मानद डिग्री दी जा रही है। गोरकेला जी भारत के उन चुनिन्दा लोगो के अलावा उत्तराखंड के पहले व्यक्ति है, जिन्हें कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़ यह सम्मान दे रहा है। भारत में ही नहीं पुरे विश्व में पीएचडी अलग अलग विषयों में लाखों लोग करते है, किन्तु मानद उपाधि भारत में बहुत कम लोगो को मिलती है खासतौर से कानून(विधि) में एलएलडी की डिग्री तो उन लोगो को मिलती है जिनके पास कानून की विशेषज्ञता हो, और यह डिग्री विश्वविद्यालय के अधिकारिक परिषद् (एक्यूटिव काउंसिल) के सहमति से मिलती है, और काउन्सिल में भारत के उस विश्वविद्यालय के अलग अलग विषयों के विद्वान प्रोफेसर लोग होते है। बड़ा गर्व महसूस हो रहा है की उत्तराखंड के एक दुर्गम क्षेत्र में पैदा हुए मनोज गोरकेला को उनके द्वारा किए गए महान कार्यों के आधार पर यह उपाधि दीं जा रही है। आपके द्वारा भारत ही नही विश्व के कई विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय विधि भारतीय संविधान के अलावा कई विषयों पर लेक्चर दिए गए है,जिनमे विदेशों में कनाडा, यूनाइटेड किंगडम,यूनाइटेड स्टेट्स एवं भारत के कई विश्वविद्यालय में पीएचडी व एलएलएम के विध्यार्थी भी शामिल है। आपने इसके अलावा भारत के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज (एम्स ) में डाक्टरों और प्रोफेसरों को भी लेक्चर दिया है। सभी बड़े संस्थानों में भारत के संविधान एवं कानून की जानकारी आप के द्वारा दी गई है। इस डिग्री के मिलने का कारण यह भी है कि जहाँ भी आपने लेक्चर दिया है विश्वविद्यालय एवं संस्थान में वहाँ से आपके द्वारा सिर्फ एक रुपये का चेक लिया गया है। आप उप महाधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट में होने के साथ साथ तीन राज्यों का सर्वोच न्यायालय में प्रतिनिधित्व कर रहे है। आपके द्वारा सुप्रीम कोर्ट में जिन केसो में अपना पक्ष रखा गया, वो केस नजीर बन चुके है जिनमे अयोध्या में राम मंदिर, क्रिप्टो करंसी,भूमि अधिग्रहण, निजी विधालयों में गरीब बच्चों का दाखिला, मिड डे मील, आधार कार्ड, नये न्यायालय व जजों की नियुक्ति, आदि कई संविधानिक मामले है। आपके द्वारा सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया में संविधानिक पीठ के सम्मुख भारत के कई लाखों दृ करोड़ों आदिवासी लोगों का पक्ष रखा गया है और अधिकतर जो वास्तव में गरीब लोग होते है उनके केस मुफ्त में लड़ें हैं, आप मध्यप्रदेश में स्थित विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर भी है। आपने अब तक का अपना जीवन भारत के बहुत गरीब लोगों के उत्थान के लिए समर्पित किया है। विश्वविद्यालय द्वारा आपकी और भी कई उपलब्धियां देखी गयीं हैं जिसे लिखने की कोशिश करते हैं तो अत्यधिक समय लगेगा भारत के विकाश के लिए आपके द्वारा विश्व के कई देशों में जाकर वहां के कानून का गहन अध्ययन किया गया यहाँ तक की अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय व यू॰एन॰ओ॰ में जाकर वहां की कार्य प्रणाली का गहन अध्ययन किया गया है ताकि वहाँ के उचित ज्ञान को भारत के विद्यार्थियों को लेक्चर के माध्यम से बता सके। आप भारत के पहले व्यक्ति है जिनके द्वारा मात्र भूमि की सेवा करने के उद्देश्य से हर महीना वेतन रिटेनरशिप फीस, उत्तराखंड सरकार से एक रुपया लिया गया है। भारत में इस तरह की उपलब्धियां बहुत कम लोगों के पास होती हैं और इतनी सारी उपलब्धियां होने के बावजूद भी आप एक साधारण से व्यक्ति की तरह जीवन यापन करते हैं कोई भी डिग्री किस विश्वविध्यालय से मिलती है यह बहुत महत्वपूर्ण है और गोरकेला जी को एलएलडी की मानद डिग्री कर्नाटक राज्य के ही नहीं भारत के एक नामी विश्वविद्यालय (कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़) से मिल रही है, यह विश्वविद्यालय आजादी के पहले बनाया गया था।
हरिद्वार। उत्तराखंड के दुर्गम सीमांत आदिवासी क्षेत्र के रहने वाले मनोज गोरकेला को उनके राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिली उपलब्धियां को ध्यान में रखकर कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़ के द्वारा एलएलडी की मानद डिग्री दी जा रही है। गोरकेला जी भारत के उन चुनिन्दा लोगो के अलावा उत्तराखंड के पहले व्यक्ति है, जिन्हें कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़ यह सम्मान दे रहा है। भारत में ही नहीं पुरे विश्व में पीएचडी अलग अलग विषयों में लाखों लोग करते है, किन्तु मानद उपाधि भारत में बहुत कम लोगो को मिलती है खासतौर से कानून(विधि) में एलएलडी की डिग्री तो उन लोगो को मिलती है जिनके पास कानून की विशेषज्ञता हो, और यह डिग्री विश्वविद्यालय के अधिकारिक परिषद् (एक्यूटिव काउंसिल) के सहमति से मिलती है, और काउन्सिल में भारत के उस विश्वविद्यालय के अलग अलग विषयों के विद्वान प्रोफेसर लोग होते है। बड़ा गर्व महसूस हो रहा है की उत्तराखंड के एक दुर्गम क्षेत्र में पैदा हुए मनोज गोरकेला को उनके द्वारा किए गए महान कार्यों के आधार पर यह उपाधि दीं जा रही है। आपके द्वारा भारत ही नही विश्व के कई विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय विधि भारतीय संविधान के अलावा कई विषयों पर लेक्चर दिए गए है,जिनमे विदेशों में कनाडा, यूनाइटेड किंगडम,यूनाइटेड स्टेट्स एवं भारत के कई विश्वविद्यालय में पीएचडी व एलएलएम के विध्यार्थी भी शामिल है। आपने इसके अलावा भारत के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज (एम्स ) में डाक्टरों और प्रोफेसरों को भी लेक्चर दिया है। सभी बड़े संस्थानों में भारत के संविधान एवं कानून की जानकारी आप के द्वारा दी गई है। इस डिग्री के मिलने का कारण यह भी है कि जहाँ भी आपने लेक्चर दिया है विश्वविद्यालय एवं संस्थान में वहाँ से आपके द्वारा सिर्फ एक रुपये का चेक लिया गया है। आप उप महाधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट में होने के साथ साथ तीन राज्यों का सर्वोच न्यायालय में प्रतिनिधित्व कर रहे है। आपके द्वारा सुप्रीम कोर्ट में जिन केसो में अपना पक्ष रखा गया, वो केस नजीर बन चुके है जिनमे अयोध्या में राम मंदिर, क्रिप्टो करंसी,भूमि अधिग्रहण, निजी विधालयों में गरीब बच्चों का दाखिला, मिड डे मील, आधार कार्ड, नये न्यायालय व जजों की नियुक्ति, आदि कई संविधानिक मामले है। आपके द्वारा सुप्रीम कोर्ट आफ इंडिया में संविधानिक पीठ के सम्मुख भारत के कई लाखों दृ करोड़ों आदिवासी लोगों का पक्ष रखा गया है और अधिकतर जो वास्तव में गरीब लोग होते है उनके केस मुफ्त में लड़ें हैं, आप मध्यप्रदेश में स्थित विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर भी है। आपने अब तक का अपना जीवन भारत के बहुत गरीब लोगों के उत्थान के लिए समर्पित किया है। विश्वविद्यालय द्वारा आपकी और भी कई उपलब्धियां देखी गयीं हैं जिसे लिखने की कोशिश करते हैं तो अत्यधिक समय लगेगा भारत के विकाश के लिए आपके द्वारा विश्व के कई देशों में जाकर वहां के कानून का गहन अध्ययन किया गया यहाँ तक की अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय व यू॰एन॰ओ॰ में जाकर वहां की कार्य प्रणाली का गहन अध्ययन किया गया है ताकि वहाँ के उचित ज्ञान को भारत के विद्यार्थियों को लेक्चर के माध्यम से बता सके। आप भारत के पहले व्यक्ति है जिनके द्वारा मात्र भूमि की सेवा करने के उद्देश्य से हर महीना वेतन रिटेनरशिप फीस, उत्तराखंड सरकार से एक रुपया लिया गया है। भारत में इस तरह की उपलब्धियां बहुत कम लोगों के पास होती हैं और इतनी सारी उपलब्धियां होने के बावजूद भी आप एक साधारण से व्यक्ति की तरह जीवन यापन करते हैं कोई भी डिग्री किस विश्वविध्यालय से मिलती है यह बहुत महत्वपूर्ण है और गोरकेला जी को एलएलडी की मानद डिग्री कर्नाटक राज्य के ही नहीं भारत के एक नामी विश्वविद्यालय (कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़) से मिल रही है, यह विश्वविद्यालय आजादी के पहले बनाया गया था।
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