हरिद्वार। योग गुरु बाबा रामदेव ने कहा कि समस्त सत्यों का संयोग योग है। उन्होंने कहा कि जब भी आप अपना विषय पढ़ाएं तो पूरी लगन के साथ उस विषय में खूद को डुबाकर उसे बच्चों के सामने रखना चाहिये। यही गुरु धर्म भी है। पतंजलि विश्वविद्यालय गुरु-शिष्य परम्परा पर आधारित विवि है। शनिवार को पतंजलि विवि. में पुनश्चर्या पाठ्यक्रम के सातवें दिन बाबा रामदेव एवं प्रति-कुलपति प्रो. महावीर अग्रवाल का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। संगीत विभाग के आचार्यों द्वारा ‘शुचिता से भर दो-हमें शुद्ध कर दो स्वागत गीत की प्रस्तुति के उपरान्त परामर्शदात्री समिति के सचिव प्रो. केएनएस. यादव एवं कुलानुशासिका साध्वी (डॉ.) देवप्रिया ने पुष्पगुच्छ भेंट कर अतिथियों का अभिनंदन किया गया। बाबा रामदेव ने कहा कि आचार्यों को ऋषि परम्परा का सच्चा प्रतिनिधि होना चाहिए। उन्होंने सभी से विवेकपूर्वक, भक्तिपूर्वक एवं पूर्ण पुरुषार्थ के साथ अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने का आह्वान किया। प्रो. अग्रवाल ने वेदों में वर्णित विभिन्न विषयों पर प्रकाश डाला। स्वामी दयानन्द सरस्वती का संदर्भ देते हुए उन्होंने धर्म के रहस्य को जानने-समझने के लिए वेदों की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया। इस मौके पर संकायाध्यक्ष प्रो. कटियार, सह-कुलानुशासक स्वामी परमार्थदेव, उप-कुलसचिव डॉ. निर्विकार सहित विवि के विभिन्न संकायों के आचार्य एवं शोध छात्र उपस्थित रहे। सत्र का सफल संचालन डॉ. आरती पाल ने किया।
112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।
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