हरिद्वार। पतंजलि विवि में वैदिक विज्ञान पर आधारित पुनश्चर्या पाठ्यक्रम कार्यशाला का आयोजन किया गया। दो जुलाई तक चलने वाले इस आयोजन में विभिन्न विषयों पर आचार्य अपना व्याख्यान देंगे। वैदिक विज्ञरन पुनश्चर्या पाठ्यक्रम कार्यशाला का उद्घाटन आचार्य बालकृष्ण और प्रो.ईश्वर भारद्वाज ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पतंजलि विवि के प्रति-कुलपति प्रो.महावीर अग्रवाल ने किया। अपने उद्बोधन में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आज प्रत्येक दिन सभी व्यक्तियों को अपने आप को रिफ्रेश करने की आवश्यकता है। तभी उस व्यक्ति का व्यक्तत्वि उभरकर सामने आयेगा। वैसे तो प्राचीन काल में योग दर्शन विषय का एक अंग होता था और उसे दर्शन विषय के साथ ही पढ़ाया जाता था मगर आज योग एवं दर्शन अलग-अलग विषय हैं। यह सब इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि समय≤ पर विद्वानों ने इन विषयों को रिफ्रेश करने का कार्य किया। उन्होंने कहा पतंजलि विवि वैदिक संस्कृति पर आधारित एक संस्था है इसलिए इस कार्यशाला का आयोजन कर सभी सहभागी शिक्षकों को नूतन ज्ञान की प्राप्ति का अवसर यहां पर प्रदान किया जा रहा है। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से सेवानिवृत प्रो.ईश्वर भारद्वाज ने कहा कि मैं उस आचार्य बालकृष्ण को जानता हूं जिसने हिमालय की ऊंचाइयों पर बैठकर जो संकल्प लिया था,उसे इस धरा पर आकर साकार करके दिखाया है। द्वितीय सत्र के मुख्य अतिथि डॉ.महावीर अग्रवाल ने कहा कि इस पुनश्चर्या पाठ्यक्रम में आए सभी सहभागी अध्यापकगण अपने आचार्यगणों को ध्यान से सुनें एवं उनके ज्ञान से खुद को अंलकृत करें। इस अवसर पर कुलानुशासिका साध्वीदेवप्रिया,कुलसचिव डॉ.प्रवीण पुनिया,उपकलसचिवडॉ.निर्विकार, संकायाध्यक्ष प्रो वीके कटियार सहित सभी अधिकारी उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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