Skip to main content

अध्यात्मिक समारोह के मनाया जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का प्राकट्य महोत्सव

 


हरिद्वार। ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय गोवर्द्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती महाराज का 80वां प्राकट्य महोत्सव देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। इसी क्रम में पूर्वांचल समाज के लोगों ने शंकराचार्य के प्राकटय दिवस की पूर्व संध्या पर हरिद्वार की इंद्रलोक कॉलोनी के मंदिर में सुंदरकांड पाठ कर प्राकट्य महोत्सव धूमधाम से मनाया। प्रवीण शर्मा और अनंत शर्मा द्वारा सुंदर कांड का पाठ किया गया और पाठ के पश्चात आरती कर भक्तों को भोजन प्रसाद वितरित किया। महामंडलेश्वर स्वामी संतोषानंद देव महाराज, रानीपुर विधायक आदेश चैहान, शिवालिकनगर नगर पालिका चेयरमैन राजीव शर्मा सहित तमाम गणमान्य लोगों ने कार्यक्रम में उपस्थित होकर सभी स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती के प्राकट्य दिवस की शुभकामनाएं प्रेषित दी। इस मौके पर आयोजन समिति के सदस्य मनोज शुक्ला ने बताया कि महामनीषी श्रीमज्जदगुरू शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्द सरस्वती को वैदिक गणित का अद्भुत ज्ञान भगवान् सूर्य से प्राप्त हुआ। वयोवृद्ध अवस्था के बावजूद दर्शन विज्ञान और व्यवहार के बल पर वे धर्म सभाओं में सनातन सिद्धान्त को अकाट्य व सर्वोत्कृष्ट सिद्ध करते हैं। वीके त्रिपाठी ने कहा कि शङ्कराचार्यों को भारत में वही सम्मान मिलना चाहिए जो पोप को ईसाई देशों में मिलता है। तभी भारत का कल्याण संभव है। इस अवसर पर सिडकुल थाना प्रभारी प्रमोद उनियाल,विमला पांडेय,उपेंद्र शर्मा, सुजित शुक्ल,रवि मिश्र,जटाशंकर श्रीवास्तव,सुनील कौशिक,सभासद अशोक मेहता,कैलाश भंडारी,एडवोकेट राजेश राठौर,मदनेश मिश्र,राज तिवारी,डा.उदय पांडेय,हिमांशु शेखर,केशव पांडेय,आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संयोजन विवेक तिवारी,रमेश पांडेय,मनोज शुक्ल, विनोद त्रिपाठी,ऐश्वर्या पांडेय, अनिल वशिष्ठ द्वारा किया गया।


Comments

Popular posts from this blog

धूमधाम से गंगा जी मे प्रवाहित होगा पवित्र जोत,होगा दुग्धाभिषेक -डॉ0नागपाल

 112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से  मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से  मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।

बी0ई0जी0 आर्मी तैराक दलों ने 127 कांवडियों,श्रद्धालुओं को गंगा में डूबने से बचाया

  हरिद्वार। जिलाधिकारी विनय शंकर पाण्डेय के निर्देशन, अपर जिलाधिकारी पी0एल0शाह के मुख्य संयोजन एवं नोडल अधिकारी डा0 नरेश चौधरी के संयोजन में कांवड़ मेले के दौरान बी0ई0जी0 आर्मी के तैराक दल अपनी मोटरबोटों एवं सभी संसाधनों के साथ कांवडियों की सुरक्षा के लिये गंगा के विभिन्न घाटों पर तैनात होकर मुस्तैदी से हर समय कांवड़ियों को डूबने से बचा रहे हैं। बी0ई0जी0 आर्मी तैराक दल द्वारा कांवड़ मेला अवधि के दौरान 127 शिवभक्त कांवडियों,श्रद्धालुओं को डूबने से बचाया गया। 17 वर्षीय अरूण निवासी जालंधर, 24 वर्षीय मोनू निवासी बागपत, 18 वर्षीय अमन निवासी नई दिल्ली, 20 वर्षीय रमन गिरी निवासी कुरूक्षेत्र, 22 वर्षीय श्याम निवासी सराहनपुर, 23 वर्षीय संतोष निवासी मुरादाबाद, 18 वर्षीय संदीप निवासी रोहतक आदि को विभिन्न घाटों से बी0ई0जी0 आर्मी तैराक दल द्वारा गंगा में डूबने से बचाया गया तथा साथ ही साथ प्राथमिक उपचार देकर उन सभी कांवडियों को चेतावनी दी गयी कि गंगा में सुरक्षित स्थानों में ही स्नान करें। कांवड़ मेला अवधि के दौरान बी0ई0जी0आर्मी तैराक दल एवं रेड क्रास स्वयंसेवकों द्वारा गंगा के पुलों एवं घाटों पर माइकिं

गुरु ज्ञान की गंगा में मन का मैल,जन्मों की चिंताएं और कर्त्तापन का बोध भूल जाता है - गुरुदेव नन्दकिशोर श्रीमाली

  हरिद्वार निखिल मंत्र विज्ञान एवं सिद्धाश्रम साधक परिवार की ओर से देवभूमि हरिद्वार के भूपतवाला स्थित स्वामी लक्ष्मी नारायण आश्रम में सौभाग्य कीर्ति गुरु पूर्णिमा महोत्सव का आयोजन उल्लास पूर्वक संपन्न हुआ। इस पावन पर्व के अवसर पर स्वामी लक्ष्मी नारायण आश्रम और आसपास का इलाका जय गुरुदेव व हर हर महादेव के जयकारों से गुंजायमान रहा। परमहंस स्वामी निखिलेश्वरानंद (डॉ नारायण दत्त श्रीमाली) एवं माता भगवती की दिव्य छत्रछाया में आयोजित इस महोत्सव को संबोधित करते हुए गुरुदेव नंदकिशोर श्रीमाली ने गुरु एवं शिष्य के संबंध की विस्तृत चर्चा करते हुए शिष्य को गुरु का ही प्रतिबिंब बताया। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार स्वयं को देखने के लिए दर्पण के पास जाना पड़ता है,उसी प्रकार शिष्य को गुरु के पास जाना पड़ता है, जहां वह अपनी ही छवि देखता है। क्योंकि शिष्य गुरु का ही प्रतिबिंब है और गुरु भी हर शिष्य में अपना ही प्रतिबिंब देखते हैं। गुरु में ही शिष्य है और शिष्य में ही गुरु है। गुरु पूर्णिमा शिष्यों के लिए के लिए जन्मों से ढोते आ रहे कर्त्तापन की गठरी को गुरु चरणों में विसर्जित कर गुरु आलिंगन में बंधने का दिवस