हरिद्वार। शांतिकुंज में दो दिवसीय गायत्री जयंती एवं गंगा दशहरा पर्वोत्सव के पहले दिन गायत्री यानी सदविचार को जन-जन तक फैलाने के संकल्प के साथ रैली निकाली गई। रैली को शांतिकुंज के वरिष्ठ कार्यकर्ता श्याम बिहारी दुबे और केपी दुबे ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। जनजागरण रैली में शांतिकुंज के स्वयंसेवी समेत देश-विदेश से आए गायत्री साधकों ने भाग लिया। जनजागरण रैली शांतिकुंज के गेट नंबर तीन से निकली और सप्तसरोवर क्षेत्र से होते हुए वापस शांतिकुंज लौटी। रैली में गंगा को अविरल-निर्मल बनाए रखने के लिए जनजागरण किया गया। शांतिकुंज पहुंचने पर रैली का महिला मण्डल ने आरती कर स्वागत किया। अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक की पुण्यतिथि की पूर्व वेला में उपस्थित सभी कार्यकर्ताओं उनके संकल्पनाओं को पूरा करने की शपथ ली। पूर्व संध्या के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने विभिन्न उदाहरणों के साथ मां गायत्री के ज्ञान को प्रसारित करने तथा पतित पावनी गंगा को अविरल एवं स्वच्छ बनाये रखने के लिए प्रेरित किया। शांतिकुंज व्यवस्थापक महेन्द्र शर्मा के अनुसार गायत्री जयंती महापर्व का प्रमुख कार्यक्रम दस जून को होगा। साथ ही विभिन्न संस्कार भी निःशुल्क सम्पन्न कराए जाएंगे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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