हरिद्वार। कांवड़ यात्रा के दौरान स्वास्थ्य विभाग के अस्थायी 25 चिकित्सा शिविरों में करीब दो लाख कांवड़ियों को प्राथमिक उपचार किया गया। जिसमें डायरिया, एक्सीडेंट, कुत्ते और सांप काटे के मरीज भी शामिल रहे। जिला स्वास्थ्य विभाग ने 14 जुलाई से शुरू हुई कांवड़ यात्रा में आने वाले शिवभक्तों के लिए जिले भर में अलग-अलग स्थानों पर कुल 25 अस्थायी चिकित्सा शिविरों का आयोजन किया था। सभी अस्थायी चिकित्सा केंद्रों पर चिकित्सक, फार्मासिस्ट एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती 24 घंटे की गई थी। सभी अस्थायी चिकित्सा शिविरों की प्रत्येक दिन की रिपोर्ट मेला अस्पताल में बने स्वास्थ्य विभाग के कंट्रोल रूम में पहुंच भी रही थी। कांवड़ मेला के नोडल अधिकारी डॉ. राजेश गुप्ता ने बताया कि 14 जुलाई से 25 जुलाई की रात तक 1 लाख 82 हजार कांवड़ियों को इन सभी 25 अस्थायी चिकित्सा शिविरों में प्राथमिक उपचार दिया गया। उन्होंने बताया कि कांवड़ यात्रा के अंतिम दिन का आंकड़ा देर रात को मिलेगा। उन्होंने बताया कि अस्थायी चिकित्सा शिविर पर रोजाना इलाज को आने वाले कांवड़ियों को देखते हुए कांवड़ यात्रा के दौरान प्राथमिक उपचार लेने वाले कांवड़ियों का आंकड़ा दो लाख के करीब पहुंच जाएगा।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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