हरिद्वार। किन्नर अखाड़ा ज्वालापुर की गुरु माता मोनिका पंडित ने कहा कि भगवान शिव में ही पूरा संसार समाहित है। जगत के कण-कण में महादेव का वास है। जो श्रद्धालु भक्त एवं दीन दुखी दीनानाथ के दरबार में आ जाता है। उसका कल्याण अवश्य ही निश्चित है। भगवान शिव भाव के भूखे हैं जो श्रद्धालु भक्तों की सूक्ष्म आराधना से ही प्रसन्न होकर उन्हें मनवांछित फल प्रदान करते हैं। मोनिका पंडित ने कहा कि जल की धारा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और उसी से रुद्राभिषेक की उत्पत्ति हुई है। श्रावण मास में प्रत्येक श्रद्धालु भक्त को पूर्ण भक्ति भाव तथा सच्चे हृदय से ओम नमःशिवाय का जाप करते हुए भगवान शिव का जलाभिषेक करना चाहिए। जलाभिषेक करने से भगवान शिव अत्यन्त प्रसन्न होते हैं और भक्त की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। प्रिया ने कहा कि देवों के देव महादेव की कृपा जिस भक्त पर हो जाती है। उसका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। उन्होंने कहा कि मात्र जलाभिषेक से ही प्रसन्न होने वाले भगवान शिव की आराधना के दौरान भक्त को माता पार्वती का ध्यान भी अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से साधक को शिव शक्ति दोनों की कृपा की प्राप्ति होती है। जिससे साधक के सभी मनोरथ पूरे होते हैं। इस अवसर पर प्रिया, कामिनी, कंचन, आरती, माही, राधिका, रिया, पिंकी, जोया, आइशा आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। किन्नर अखाड़ा ज्वालापुर की गुरु माता मोनिका पंडित ने कहा कि भगवान शिव में ही पूरा संसार समाहित है। जगत के कण-कण में महादेव का वास है। जो श्रद्धालु भक्त एवं दीन दुखी दीनानाथ के दरबार में आ जाता है। उसका कल्याण अवश्य ही निश्चित है। भगवान शिव भाव के भूखे हैं जो श्रद्धालु भक्तों की सूक्ष्म आराधना से ही प्रसन्न होकर उन्हें मनवांछित फल प्रदान करते हैं। मोनिका पंडित ने कहा कि जल की धारा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है और उसी से रुद्राभिषेक की उत्पत्ति हुई है। श्रावण मास में प्रत्येक श्रद्धालु भक्त को पूर्ण भक्ति भाव तथा सच्चे हृदय से ओम नमःशिवाय का जाप करते हुए भगवान शिव का जलाभिषेक करना चाहिए। जलाभिषेक करने से भगवान शिव अत्यन्त प्रसन्न होते हैं और भक्त की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। प्रिया ने कहा कि देवों के देव महादेव की कृपा जिस भक्त पर हो जाती है। उसका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। उन्होंने कहा कि मात्र जलाभिषेक से ही प्रसन्न होने वाले भगवान शिव की आराधना के दौरान भक्त को माता पार्वती का ध्यान भी अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से साधक को शिव शक्ति दोनों की कृपा की प्राप्ति होती है। जिससे साधक के सभी मनोरथ पूरे होते हैं। इस अवसर पर प्रिया, कामिनी, कंचन, आरती, माही, राधिका, रिया, पिंकी, जोया, आइशा आदि उपस्थित रहे।
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