हरिद्वार। रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम अस्पताल के व्यवस्थापक स्वामी नित्यशुद्धानंद महाराज के ब्रह्मलीन होने पर श्री जयराम आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि स्वामी नित्यशुद्धांनद महाराज के ब्रह्मलीन होने से संत समाज के साथ हरिद्वार के जनसामान्य को भी भारी क्षति हुई है। स्वामी नित्यशुद्धानंद महाराज की सेवा भावना व उनके विचार सदैव सभी को प्रेरणा देते रहेंगे। महामण्डलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द महाराज ने कहा कि रामकृष्ण मिशन अस्पताल को चिकित्सा के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने में स्वामी नित्यशुद्धानंद महाराज का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। उन्होंने कहा कि संत महापुरूष केवल शरीर त्यागते हैं। उनका कृतित्व व विचार सदैव समाज का मार्गदर्शन करते हैं। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज व स्वामी जगदीश महाराज ने कहा कि अपना पूरा जीवन रोगियों की सेवा में समर्पित करने वाले ब्रह्मलीन स्वामी नित्यशुद्धानंत महाराज त्याग एवं तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। उनके निधन से संत समाज को जो क्षति हुई है। उसे कभी पूरा नहीं किया जा सकेगा। रामकृष्ण मिशन के स्वामी दयाधीपानंद (शिवकुमार महाराज) ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी नित्यशुद्धानंद महाराज द्वारा स्थापित सेवा परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उनके अधूरे कार्यो को पूरा किया जाएगा। स्वामी उमेश्वरानन्द ने बताया कि आठ अगस्त को ब्रह्मलीन स्वामी नित्यशुद्धानंद महाराज का श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया जाएगा। जिसमें सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूष, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि व गणमान्य लोग ब्रह्मलीन स्वामी नित्यशुद्धानंद महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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