हरिद्वार। श्रावण महीने के कांवड़ मेले की शुरुआत के पहले दिन प्रशासन का दावा है कि चार लाख कांवड़ियों ने शाम तक गंगाजल भरा और अपने गंतव्यों की ओर रवाना हुए। माना जा रहा है कि शुक्रवार से पंचक लग जाने के कारण 20 जुलाई के बाद कांवड़ियों का रैली हरिद्वार पहुंचेगा। शास्त्रों के अनुसार पंचक लगने पर कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। यात्रा में पंचक लग जाने से कांवड़िये पांच दिनों तक कांवड़ कम उठाते हैं, क्योंकि कहा जाता है कि पंचक के दौरान बांस से बने सामान की खरीदारी और उसका स्पर्श वर्जित होता है। लेकिन पिछले कुछ सालों से पंचक के दौरान भी काफी कांवड़िए हरिद्वार पहुंचते हैं। ज्योतिषाचार्य डॉ. प्रतीक मिश्रपुरी का कहना है कि 5 नक्षत्र ऐसे होते हैं जिनमें कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इसलिए जब किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक काल में हो जाती है और जिस लकड़ी का प्रयोग चिता बनाने में होता है उसको आप एक बार खरीदोगे तो आपको पांच बार खरीदनी पड़ेगी। शुक्रवार से शुरू होने वाले पंचक बुधवार को समाप्त होंगे। वही कांवड़ मेला सेल के प्रभारी बीएल भारती का कहना है कि पहले दिन चार लाख कांवड़िए हरिद्वार पहुंचे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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