हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा है कि देवों के देव महादेव कैलाश वासी भगवान शिव श्रावण मास में सृष्टि का संचालन कर अपने भक्तों पर असीम कृपा बरसाते हैं। जो श्रद्धालु भक्त सावन के पवित्र मास में भगवान शिव की आराधना करता है। उसके सभी मनोरथ भगवान आशुतोष पूर्ण करते हैं। कनखल स्थित दक्ष मंदिर में शिव आराधना के दौरान श्रद्धालु भक्तों को भगवान शिव की महिमा का सार समझाते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि समस्त दुनिया भगवान शिव में समाई है और महादेव का कण कण में वास है। सावन मास में शिव आराधना का विशेष महत्व है और भगवान शिव का पूजन करने से व्यक्ति को लौकिक कष्टों से मुक्ति मिलती है और सहस्र गुना पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इसलिए प्रत्येक श्रद्धालु भक्त को भगवान शिव का जलाभिषेक अवश्य करना चाहिए अपनी शरण में आने वाले प्रत्येक भक्त का भगवान भोलेनाथ कल्याण करते हैं। जो दीन दुखी दीनानाथ के दरबार में आ जाता है। उसका कल्याण अवश्य ही निश्चित है। बेलपत्र,दूध,दही,भांग,धतूरा शक्कर भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। नियमानुसार शिव आराधना व्यक्ति का जीवन बदल देती है। श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि श्रावण मास में की गई शिव आराधना से भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती की अलौकिक कृपा भी भक्तों को प्राप्त होती है और भक्तों का समूचा परिवार शिव परिवार की भांति ही सुखी और समृद्ध रहता है। उन्होंने आम जनमानस से अपील करते हुए कहा कि शिवभक्त कावड़ियों की सेवा करते हुए पुण्य की प्राप्ति करें। सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही सेवा करने का अवसर प्राप्त होता है। इस अवसर पर महंत सूर्यमोहन गिरी,स्वामी कृष्णानन्द गिरी,महंत सत्यानन्द गिरी सहित कई संत व श्रद्धालु उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
Comments
Post a Comment