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सनातन संस्कृति के मूल में वेद शास्त्र रामायण गीता जैसे पवित्र ग्रंथ हैं-स्वामी ऋषिश्वरानन्द

 हरिद्वार। श्री चेतन ज्योति आश्रम के अध्यक्ष स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने कहा है कि भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म अनादि काल से विश्व का मार्गदर्शन करते चले आ रहे हैं। जिस से प्रभावित होकर विदेशी लोग भी भारतीय सभ्यता को अपना रहे हैं। इंडोनेशिया के बाली से विधायक डा.सोमवीर हरियाणा स्थित अपने आवास पर परिवार से मिलने पहुंचे। जहां पर स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज एवं वैदिक वैलनेस फाउंडेशन ऋषिकेश के संस्थापक योगी आशुतोष महाराज ने उनका भव्य स्वागत किया और विदेशों में भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार पर चर्चा करते हुए स्वामी ऋषिश्वरानंद महाराज ने बताया कि डा.सोमबीर विदेश में सनातन संस्कृति की अलख जगा रहे हैं। सनातन संस्कृति के मूल में वेद शास्त्र रामायण गीता जैसे पवित्र ग्रंथ हैं। यह संस्कृति का ही प्रभाव है। जिसकी बदौलत सदियों बाद भी इंडोनेशिया सहित कई दक्षिणी पूर्वी एशियाई देश एक ऐसी डोर से बंधे हैं। जो अनेकता में एकता को दर्शाती है। उन्होंने बताया कि सनातन संस्कारों की भावना ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के रिश्ते मजबूत किए हैं। पिछले कुछ वर्षों में जितने मजबूत सांस्कृतिक संबंध हुए हैं। उससे कहीं अधिक व्यापारिक संबंध भी मजबूत हो रहे हैं। स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई की बतौर प्रधानमंत्री इंडोनेशिया यात्रा के दौरान दुभाषिए की भूमिका में रहे डा.सोमवीर ने बताया कि कर्ण अथवा घटोत्कच की प्रतिमाएं हो या फिर इंडोनेशिया के किसी शो में महाभारत के चरित्रों की जीवंत प्रस्तुति हो। हर जगह सनातन धर्म की धारा बहती दिखाई पड़ती है। सनातन संस्कृति के प्रभाव के कारण ही इंडोनेशिया जैसे देशों में धाराओं के नाम पर कट्टरवाद कभी नहीं पनपा और एक दूसरे पक्ष से जुड़े लोगों के बीच घनिष्ठता बढ़ी है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने पूरे विश्व में अपना मान बढ़ाया है और वह दिन दूर नहीं जब विश्व गुरु के रूप में भारत फिर से संपूर्ण विश्व का मार्गदर्शन करेगा। योगी आशुतोष महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति के पवित्र दर्शन विश्व भर में एकता और अखंडता को दर्शाते हैं। संत महापुरुषों ने हमेशा ही राष्ट्र को एक नई दिशा प्रदान की है और डा.सोमवीर जैसे सनातन प्रेमी व्यक्ति विदेश में रहकर भी धर्म की पताका को पहरा रहे हैं। जो भारत के लिए गौरव की बात है। हम सबको अपने धर्म और देश पर नाज है कि हम भारत की पवित्र भूमि में पैदा हुए और सबसे प्राचीन धर्म सनातन के अनुयाई है।


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